गुड़गांव के नीचे बहती थी कौन सी नदी? यूपी-बिहार तो छोड़िए
हर शहर का अपना अलग इतिहास होता है. कई बार इस इतिहास से लोग रूबरू नहीं होते हैं. इस वजह से उन्हें ये जानकारियां हैरान करने वाली लगती हैं. हाल ही में ऐसी ही एक जानकारी लोगों को अनोखी लग रही है. ये जानकारी हरियाणा के गुड़गांव शहर की है जो जो दिल्ली-एनसीआर का अहम शहर बन चुका है जहां सैकड़ों कंपनियों के ऑफिस बने हैं. क्या आप जानते हैं कि इस शहर के नीचे एक नदी बहा करती थी? (River flowing under Gurgaon city) ये जानकारी इतनी दुर्लभ है कि यूपी-बिहार तो छोड़िए, जो लोग हरियाणा में रह रहे हैं, उन्हें भी शायद इस नदी के बारे में नहीं पता होगा, क्योंकि कई सालों पहले ही ये सूख गई थी.
जिस नदी की हम बात कर रहे हैं, उसका नाम था साहिबी (Sahibi River), जिसे सीबी भी कहते थे. ये नदी जयपुर के जीतगढ़ नामक स्थान से निकलकर अलवर (राजस्थान), रेवाड़ी, गुड़गांव (हरियाणा) से होते हुए दिल्ली के नजफगढ़ नाले में गिरती थी और वहां से ये यमुना में जाकर मिल जाती थी. यह बारिश पर निर्भर नदी थी. रिपोर्ट्स की मानें तो 1980 के दशक तक इस नदी में पानी था. अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये नदी कहां गई?
1980 के दशक में नदी में था पानी
बारिश कम होने की वजह से ये नदी सूखती गई. इसके अलावा नदी को जबरदस्ती भी सुखाने का काम किया गया. सूखी हुई जमीन पर प्लाट काट-काटकर लोगों को बेचे गए और वहीं पर गुड़गांव का निर्माण हुआ. साल 2017 में न्यूज18 से बात करते हुए गुड़गांव गवर्नमेंट कॉलेज के प्रिंसिपल रहे डॉ. अशोक दिवाकर ने कहा था कि उन्होंने इस नदी में 1977 में आई बाढ़ देखी थी. रेवाड़ी के एक गांव में वो बाढ़ से जुड़े राहत कार्य को करने गए थे. तब पानी गुड़गांव के सेक्टर-14 स्थित गवर्नमेंट कॉलेज तक घुस आया था.
नदियों के मार्ग से छेड़छाड़ करना हो सकता है खतरनाक
जानकारों का कहना है कि सिर्फ 4 दशक पहले तक जिस नदी में बाढ़ आती थी, उसका नामोनिशान अब मिट चुका है. जानकारों का कहना है कि नदी को सुखाकर उसके रास्ते में मकान और इमारतें बनाना खतरनाक है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भूगोल से पीएचडी करने वाले डॉ. दिवाकर ने न्यूज18 हिन्दी से बात करते हुए कहा था नदी के मार्ग में घर बनाने के बाद अगर बाढ़ आती है तो जान-माल के नुकसान में नदियां जिम्मेदार नहीं हैं. साहिबी नदी में कभी पानी भर जाए तो वो बाढ़ रूप में विनाश करेगी.