खो-खो विश्वकप में देश का प्रतिनिधित्व कर जम्मू की बेटी; नाजिया बीबी ने रोशन किया प्रदेश का नाम
जम्मू की नाजिया बीबी ने खो-खो विश्वकप में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रदेश का नाम रोशन किया और खेल के प्रति अपने समर्पण को साबित किया।
जम्मू के नगरोटा निवासी नाजिया बीबी ने खो-खो विश्वकप में देश का प्रतिनिधित्व कर प्रदेश का नाम रोशन किया है। वह विश्वविजेता टीम की सदस्य हैं। 21 साल की नाजिया बीबी ने अपने असाधारण खेल कौशल से टीम की जीत में अहम योगदान दिया है। जीत की खुशी में उन्होंने कहा, यहा सपना सच होना जैसा है। सबसे ज्यादा खुशी है कि देश का प्रतिनिधित्व किया।
खो-खो विश्वकप खेलने वाली नाजिया प्रदेश की पहली महिला खिलाड़ी बनी हैं। विश्वकप विजेता बनने के क्षण का गवाह बनने के लिए उन्होंने काफी कुछ त्याग भी करना पड़ता है। वह बताती हैं कि विश्वकप के कैंप के समय बड़े भाई की शादी हुई थी, लेकिन उसमें शामिल नहीं हो पाई।
विश्वकप जीतना किसी सपने से कम नहीं था।कक्षा छह से 12वीं तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल गुज्जर नगर से की। खो-खो खेलना तीसरे कक्षा से ही शुरू कर दिया था। हालांकि, पहले इस खेल के प्रति इतना रुझान नहीं था, लेकिन खेल को समझा तो धीरे-धीरे रुचि बढ़ती गई।
प्रदेश में खेल और खिलाड़ियों को नहीं मिलता प्रोत्साहन
नाजिया ने बताया कि प्रदेश में खेल और खिलाड़ियों को वो प्रोत्साहन नहीं मिलता है, जिसके वह हकदार है। विश्वकप विजेता टीम का हिस्सा होने के बावजूद किसी राजनेता या अधिकारी से शुभकामनाएं नहीं मिलीं। सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में उत्कृष्ट प्रदर्शन के दम पर जम्मू-कश्मीर से दो लड़कियों का चयन विश्वकप कैंप के लिए हुआ था।
इसमें से नाजिया का चयन विश्वकप की टीम में हुआ। विश्वकप में काफी कुछ सीखने को मिला। मैने डिफेंस के साथ अटैक पोजिशन पर खेला। विश्वकप की तैयारी के लिए सिर्फ एक महीने का समय मिला था। प्रदेश के अलावा देश के अन्य राज्यों में खो-खो खेल का बड़ा विकास हुआ है। हमें भी इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है।
खो-खो के साथ धावक भी हैं नाजियाविश्वकप विजेता टीम का हिस्सा नाजिया ने बताया कि वह धावक भी हैं। अभी भी मैराथन या एथलेटिक चैंपियनशिप में भाग लेती है। रन फॉर फन सहित अन्य मैराथन में पदक जीता है। खो-खो हमारा अपना खेल है। पहले इसमें कॅरिअर की संभावनाएं नहीं दिखती थी, लेकिन अब पता चला की है इस खेल में भी बहुत संभावनाएं हैं।
पढ़ाई के साथ खेल पर ध्यान देना था कठिन
नाजिया गांधीनगर महिला कॉलेज में बीए स्नातक की छात्रा हैं। बताती हैं कि कॉलेज में अंतर कॉलेज, यूनिवर्सिटी खो-खो चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन रहा है। कॉलेज से में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रही हूं। पढ़ाई के साथ-साथ खेल पर ध्यान देना कठिन है। जम्मू-कश्मीर में खो-खो खेल को बढ़ावा देने के साथ-साथ इसके कौशल उन्नयन की जरूरत है। खो-खो खेल में नई तकनीक आई हैं। हमें अपने खिलाड़ियों को इनसे रूबरू करवाना होगा, ताकि वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन कर सकें।