सोते समय कई सपने देखते हैं आप, लेकिन याद रहते हैं एक सिर्फ 1-2
अक्सर आपने देखा होगा कि हम रात भर ख्वाबों की दुनिया में ही रहते हैं, लेकिन जब हम सुबह उठते हैं तो हमें बस आखिरी ख्वाब याद रहता है। असल में इसकी कई वजहें होती हैं। कभी आपके साथ यह भी होता होगा कि आप कुछ ख्वाबों को याद करने के लिए दिमाग पर बहुत जोर देते हैं, लेकिन हमें चुनिंदा ख्वाब ही याद रहते हैं। कहा जाता है कि रात को सोते वक्त हम औसतन 4 से 6 ख्वाब देखते हैं। लेकिन हमें सारे ख्वाब याद नहीं रहते हैं, इसकी कई वजहें हो सकती हैं।
ख्वाब की अवधि
ख्वाब आमतौर पर 5 से 20 मिनट तक रहते हैं। यदि हमें ख्वाब के बीच में जगाया जाता है, तो हमें ख्वाब याद नहीं रहता है। कई बार क्या होता है हम गहरी नींद में कोई ख्वाब देख रहे होते हैं। लेकिन तभी अचानक कोई हमें आकर ख्वाब से उठा देता है। होता यह है कि हम पूरा ख्वाब ही भूल जाते हैं।
गहरी नींद में ख्वाब देखना
जब हम गहरी नींद में होते हैं, तो हमारा मस्तिष्क ख्वाब को याद रखने में असमर्थ होता है। हमें अक्सर वो ख्वाब याद रहते हैं जो हम कच्ची नींद में या नींद से उठने से चंद मिनट पहले देखते हैं। असल में हमार दिमाग पूरी तरह से गहरी नींद में रिलेक्स हो जाता है। तब वह ख्वाबों को याद नहीं कर पाता।
दिमाग की क्षमता
हमारा मस्तिष्क केवल एक निश्चित मात्रा में जानकारी को याद रख सकता है। यदि हमें बहुत सारे ख्वाब आते हैं, तो हमें उनमें से कुछ याद नहीं रहते हैं। इसलिए हम जब सुबह जगते हैं तो हमारा मस्तिष्क तुरंत दैनिक गतिविधियों में लग जाता है। इससे ख्वाब की यादें धुंधली हो जाती हैं।
वहीं दूसरा एक कारण यह भी है कि आयु के साथ-साथ हमारी ख्वाब देखने और याद रखने की क्षमता कम हो जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ख्वाब को याद रखने की क्षमता व्यक्ति की उम्र, लिंग, और नींद की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। यह भी कहा जाता है कि ख्वाब को याद रखने की क्षमता को बेहतर बनाने के लिए, व्यक्ति को नियमित रूप से नींद लेनी चाहिए, तनाव को कम करना चाहिए, और ख्वाब को लिखने के लिए एक डायरी रखनी चाहिए।