केरल में क्या हो रहा है? प्रजनन दर में आई जबरदस्त गिरावट

केरल में स्वास्थ्य, शिक्षा प्रणाली अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है। हालांकि, प्रजनन दर के मामले में केरल को लेकर काफी चिंता जताई जा रही है। दरअसल, 1991 में राज्य की जनसंख्या 2 करोड़ 90 लाख थी। वहीं, साल 2024 में अनुमानित जनसंख्या 3 करोड़ 60 लाख है यानी 35 साल में इस राज्य में जनसंख्या में केवल 70 लाख की वृद्धि हुई है।

केरल में जन्म दर चिंता का विषय

द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस महामारी के बाद केरल में जनसंख्या एक चिंता का विषय बन चुका है। कोरोना महामारी से पहले हर साल 500,000 से 550,000 शिशु जन्म लेते थे। गौरतलब है कि कोरोना काल  के बाद साल 2023 में  राज्य में सिर्फ 393,231 शिशु का जन्म हुआ। यह राज्य के लिए एक चिंता का विषय बन गया है।

जनसंख्या वैज्ञानिकों के अनुसार, वर्तमान जनसंख्या स्तर को बनाए रखने के लिए 2.1 की प्रजनन दर की आवश्यकता है। इसका मतलब है कि हर महिला को कम से कम 2.1 बच्चों को जन्म देना चाहिए। केरल ने 1987-88 में यह लक्ष्य हासिल कर लिया था।

केरल तीन दशकों से जनसंख्या स्थिर  

केरल में लगभग 100 प्रतिशत जन्म अस्पतालों में होते हैं। राज्य में एक अच्छी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली है, जिसमें शिशु मृत्यु दर यूरोपीय देशों के बराबर है। केरल की शिशु मृत्यु दर प्रति हज़ार जन्म पर मात्र छह है, जो राष्ट्रीय औसत 30 से काफी कम है। कई विशेषज्ञों और डॉक्टरों के अनुसार, केरल की जनसंख्या पिछले तीन दशकों से स्थिर है।

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