भाजपा-आप के सामने पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती, दोनों दल ‘क्लीन स्वीप’ की राह पर
दोनों दल क्लीन स्वीप करने वाले अलग-अलग चुनावों की रणनीति पर काम भी कर रही हैं। उधर, कांग्रेस की कोशिश 2008 की राह पर चलने पर की है। उनकी चुनावी रणनीति के केंद्र में दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित वाली दिल्ली वापस लाने की है।
दिल्ली की सियासी जंग में भाजपा और आप के पास अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। दोनों दल क्लीन स्वीप करने वाले अलग-अलग चुनावों की रणनीति पर काम भी कर रही हैं। उधर, कांग्रेस की कोशिश 2008 की राह पर चलने पर की है। उनकी चुनावी रणनीति के केंद्र में दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित वाली दिल्ली वापस लाने की है।
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में आप ने 62 सीटें जीती थीं, जबकि 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन के बावजूद भी आप को बढ़त केवल 18 सीटों पर मिली। इसमें आप दस और कांग्रेस के पास आठ सीटें थीं। दूसरी तरफ दिल्ली की सात लोकसभा सीटों को जीतने वाली भाजपा ने 52 विधानसभा सीटों पर सबसे ज्यादा वोट प्राप्त किए थे।
स दौरान दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी, मंत्री सौरभ भारद्वाज और तत्कालीन मंत्री कैलाश गहलोत भी अपनी सीट पर आप को ज्यादा वोट नहीं दिला पाए थे। लोकसभा चुनाव में कालकाजी, ग्रेटर कैलाश और नजफगढ़ सीट पर आप को कम वोट मिले थ्ज्ञे।
इसके बाद दिल्ली की सियासत ने इस कदर करवट बदली कि कई नेता इधर से उधर हो गए। इसमें कैलाश गहलौत पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो गए। हालांकि, तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मंत्री गोपाल राय अपनी बाबरपुर सीट, इमरान हुसैन बल्लीमारान सीट पर लोकसभा उम्मीदवार को ज्यादा वोट दिलाने में कामयाब रहे थे।