जीत की गारंटी बनीं महिला कल्याण योजनाएं, सीएम उमर अब्दुल्ला भी लगा सकते हैं दांव
सीएम उमर अब्दुल्ला पंचायत चुनाव से पहले महिलाओं के लिए योजनाओं की घोषणा कर सकते हैं, जिससे महिला मतदाताओं को आकर्षित किया जा सके।
पंचायत और विधानसभा उपचुनाव से पहले पेश होने वाले बजट में सीएम अब्दुल्ला महिलाओं के लिए बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं। विधानसभा चुनाव के समय जारी किये गए मैनिफेस्टो में भी एनसी ने महिलाओं को लुभाने वाली योजनाओं को लागू करने का वादा किया था।
हाल में ही जारी एक रिसर्च के अनुसार महिला केंद्रित सरकारी योजनाओं की वजह से देश में महिला मतदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ है। कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी इस तरह की योजनाओं का फायदा योजना लाने वाले दल को हुआ है। सीएम अब्दुल्ला भी पंचायत चुनाव से पहले इस दांव को खेल सकते हैं।
अपने घोषणा पत्र में एनसी ने आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की महिलाओं को 5000 रुपये प्रतिमाह देने और सार्वजनिक परिवहन को निःशुल्क करने की घोषणा की थी। इसके साथ ही महिला उद्यमियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने को लेकर भी घोषणा की थी। इनके अलावा भी महिलाओं को लुभाने वाले कई वादों का जिक्र घोषणा पत्र में किया था।
सूत्रों के मुताबिक सीएम उमर अब्दुला आगामी बजट में इनमें से किसी एक योजना पर अमल कर सकते हैं, जिससे महिलाओं को सीधा लाभ पहुंचे और महिला मतदाता एनसी की तरफ आकर्षित हों। सीएम उमर अब्दुला ने इन योजनाओं के लिए वित्तीय संसाधन जुटाना भी शुरू कर दिया है।
देश के कई राज्यों में महिलाओं को सीधा फायदा पहुंचाने वाली योजनाएं गेमचेंजर रहीं हैं। मध्यप्रदेश में लाड़ली बहन योजना, झारखंड में मंईयां सम्मान योजना और महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री लाड़की बहिन योजना को चुनाव जीतने के पीछे बड़ा फैक्टर माना गया।
इसी तरह कर्नाटक, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और गुजरात में भी अलग-अलग नामों से ऐसी योजनाएं चलाई जा रहीं हैं, जिनके माध्यम से सीधा महिलाओं के खाते में धनराशि पहुंचाई जाती है। इसको देखकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीएम उमर अब्दुला भी कोई ऐसी योजना ला सकते हैं, जिसके माध्यम से महिलाओं को सीधा लाभ पहुंचे।
महिला केंद्रित योजनाओं वाले राज्यों में बढ़ी महिला मतदाताओं की संख्या
एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2014 से 2024 के बीच सरकारी योजनाओं के कारण महिला मतदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक दशक में नौ करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। इसमें लगभग 58%, यानी कि करीब 5.3 करोड़ मतदाता महिला हैं।
इसी तरह देश के 19 राज्यों में जहां महिलाओं के लिए खास योजनाएं लाई गईं, वहां महिला मतदाताओं की संख्या में औसतन 7.8 लाख की बढ़ोतरी हुई है। वहीं 2019 के बाद जिन राज्यों में ऐसी योजनाएं अच्छे से लागू नहीं हो पाईं वहां औसतन 2.5 लाख महिला मतदाता ही बढ़ी हैं।