क्या पहले धरती पर रहते थे एलियंस? इस मुस्लिम देश में मिली दुर्लभ कलाकृति, हैरत में पड़े वैज्ञानिक
कुवैत में एक स्थान पर खुदाई के दौरान एक सिर की आकृति मिली है, जो एक अजीब सी मिट्टी की बनी हुई है। पुरातत्वविदों के मुताबिक, यह आकृति करीब आठ हजार साल पुरानी है।
क्या ब्रह्मांड में एलियंस हैं? सालों से वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब तलाश रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है। समय-समय पर लोग एलियंस को लेकर कई तरह के दावे करते हैं। अब इस बीच एक ऐसी खबर आई है, जो बेहद हैरान करने वाली है।
दरअसल, कुवैत में एक स्थान पर खुदाई के दौरान एक सिर की आकृति मिली है, जो एक अजीब सी मिट्टी की बनी हुई है। पुरातत्वविदों के मुताबिक, यह आकृति करीब आठ हजार साल पुरानी है।
इस खोज के बाद पुरातत्वविद् हैरान हैं। उन्होंने समझ नहीं आ रहा है कि इसका निर्माण कैसे हुआ होगा। वारसॉ विश्वविद्यालय की तरफ से बताया गया कि कुवैती-पोलिश पुरातात्विक मिशन के शोधकर्ताओं ने कुवैत के सुबिया क्षेत्र में बहरा-1 नाम के पुरातात्विक स्थल पर इस कलाकृति की खोज की है। इस आकृति को कई एलियन से भी जोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि अगर यह कलाकृति एलियन से जुड़ी है, तो माना जा सकता है कि करीब सात से आठ हजार साल पहले धरती पर भी एलियन रह रहे थे।
वारसॉ विश्वविद्यालय ने इस कलाकृति को खुदाई की सबसे उल्लेखनीय खोजों में से एक बताया है। बेहद बारीकी से बनाया यह एक मिट्टी का सिर है। इसमें लम्बी खोपड़ी, तिरछी आंखें और चपटी नाक है।
प्राचीन मेसोपोटामिया के उबैद काल की यह मूर्ति है। यह कांस्य युग से पहले का है। पुरातत्वविदों ने अनुमान लगाया है कि यह कलाकृति छठी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के समय बनाई गई थी। इससे पता चलता है कि यह 7,000 से 8,000 साल पुरानी है।
ऐसी पहली खोज है
वारसॉ विश्वविद्यालय ने बताया है कि ऐसी उबैद मूर्तियां पहले भी पाई गई हैं, लेकिन यह कलाकृति फारसी खाड़ी में मिली अपनी तरह की पहली कलाकृति है। बहरा-1 स्थल अरब प्रायद्वीप में सबसे पुरानी और सबसे बड़ी ज्ञात बस्तियों में शामिल है। यह इलाक पुराने ज्ञात मिट्टी के बर्तनों का उत्पादन स्थल भी है। खुदाई में पौधों के छोटे-छोटे टुकड़े भी मिले, जिनकी मिट्टी के बर्तन बनाते समय मिट्टी में मिलावट की गई थी।
डॉक्टर रोमन होवसेपियन ने इस खोज को लेकर कहा है कि शुरुआती विश्लेषणों से पता चलता है कि स्थानीय तौर पर बने मिट्टी के बर्तनों में जंगली पौधों के निशान हैं। कुवैती-पोलिश पुरातात्विक मिशन ने इस स्थल का अध्ययन जारी रखने की योजना तैयार की है।