दिल्ली विधानसभा चुनाव: 13 विधायक- पांच महानगर पार्षद ही पहुंचे संसद

यहां जिसने भी सियासी कदम बढ़ाए, उनमें से ज्यादातर का सफर दिल्ली तक ही सिमटा रहा। अभी तक निर्वाचित 538 विधायकों व विधानसभा न होने पर चुने गए 224 महानगर पार्षदों में से सिर्फ 18 ही संसद में पहुंच सके।

देश की राजधानी दिल्ली की सियासत के रंग अनूठे हैं। यहां जिसने भी सियासी कदम बढ़ाए, उनमें से ज्यादातर का सफर दिल्ली तक ही सिमटा रहा। अभी तक निर्वाचित 538 विधायकों व विधानसभा न होने पर चुने गए 224 महानगर पार्षदों में से सिर्फ 18 ही संसद में पहुंच सके। इनमें से 17 सियासी शख्सियतें लोकसभा और एक राज्य सभा की सदस्य बनीं।

दिल्ली में सबसे पहले विधानसभा का गठन 1952 में हुआ था। निर्वाचन के बाद मुख्यमंत्री चौ. ब्रह्मप्रकाश दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री बने, लेकिन इसके बाद 1957 में विधानसभा खत्म कर दी गई और 1967 में महानगर परिषद का गठन हुआ। इसके सदस्यों को महानगर पार्षद कहा जाता था। इनकी सियासी हैसियत विधायक के समान थी। 1990 तक महानगर परिषद का अस्तित्व रहा।

इस बीच 224 महानगर पार्षद निर्वाचित हुए। 1993 में दुबारा से विधानसभा गठित हुई। अब तक आठ विधानसभा चुनाव हुए हैं। इस वक्त नौवीं विधानसभा की निर्वाचन प्रकिया चल रही है। अभी तक हुए चुनावों में दिल्ली ने 538 विधायक और 224 महानगर पार्षद निर्वाचित हुए हैं। आंकड़े बताते हैं कि इनमें से सिर्फ 13 विधायक और पांच महानगर पार्षद ही संसद तक पहुंच सके हैं। इनमें से 17 लोकसभा सदस्य बने, जबकि कांग्रेस के परवेज हाशमी राज्यसभा तक पहुंचने में कामयाब रहे।

विधायक से सांसद बनने की कहानी
विधायक से सांसद बनने की शुरुआत पहले मुख्यमंत्री चौ. ब्रह्मप्रकाश से ही हो गई थी। वह 1952 में विधायक व मुख्यमंत्री बने और 1957 में दिल्ली सदर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। वहीं, कांग्रेस नेता एचकेएल भगत 1967 में महानगर पार्षद चुने गए। इसके तुरत बाद 1971 में हुए लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली से सांसद बने। जनसंघ के प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा ने भी यह राह अपनाई।

1967 में महानगर पार्षद और मुख्य कार्यकारी पार्षद बनने के बाद 1977 में रालोद के टिकट पर दक्षिण दिल्ली से सांसद चुने गए। यूं ही भाजपा नेता सिकंदर बख्त 1971 में महानगर पार्षद बनने के बाद 1977 में चांदनी चौक से सांसद चुने गए, जबकि चार बार महानगर पार्षद रहे कांग्रेस के चौ. भरत सिंह 1984 में बाहरी दिल्ली से सांसद बने। तीन बार महानगर पार्षद बनने के बाद भाजपा के मदनलाल खुराना 1989 में दक्षिण दिल्ली से सांसद चुने गए। उन्होंने 1993 में विधायक बनने के साथ मुख्यमंत्री का पद भी संभाला।

विधायक व महानगर पार्षद से सांसद बने अन्य नेता
भाजपा के कालका दास: 1977 में महानगर पार्षद और 1989 में करोल बाग से सांसद
भाजपा के लालबिहारी तिवारी: 1993 में विधायक, 1995 में पूर्वी दिल्ली से सांसद
भाजपा के साहिब सिंह: 1993 में विधायक और 1999 में बाहरी दिल्ली से सांसद
कांग्रेस के अजय माकन और कृष्णा तीरथ: 1993 से 2003 तक विधायक और 2004 में क्रमशः नई दिल्ली व करोल बाग से सांसद
कांग्रेस के रमेश कुमार: 1998 में विधायक और 2009 में सांसद
कांग्रेस के महाबल मिश्रा: 1998 से 2008 तक विधायक, 2009 में पश्चिमी दिल्ली से सांसद
कांग्रेस के परवेश हाशमी: 1993 से 2008 तक विधायक, 2009 में राज्यसभा सदस्य
भाजपा के डा. हर्षवर्धन: 1993 से 2013 तक विधायक, 2014 में चांदनी चौक से सांसद
भाजपा के रमेश बिधूड़ी: 2008 से 2013 तक विधायक, 2014 में दक्षिण दिल्ली से सांसद
भाजपा के प्रवेश वर्मा: 2013 में विधायक, 2014 में पश्चिमी दिल्ली से सांसद
भाजपा के रामवीर सिंह बिधूड़ी: 1993 से 2020 तक चार बार विधायक, 2024 में दक्षिण दिल्ली से सांसद

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