चार साल के निचले स्तर पर आ सकती है GDP ग्रोथ
भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ रही है। सरकार के अग्रिम अनुमान के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 6.4 फीसदी की दर से बढ़ सकता है। यह चार साल का सबसे निचला स्तर है। यह पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले भी ग्रोथ में तेज गिरावट है, जब भारतीय अर्थव्यवस्था 8.2 फीसदी की दर से बढ़ी थी।
किसने जारी किया है जीडीपी ग्रोथ का अनुमान
जीडीपी ग्रोथ का ताजा अनुमान National Statistical Office (NSO) ने जारी किया है। यह वित्त वर्ष 2024-25 के लिए नेशनल इनकम का पहला अग्रिम अनुमान है। इस डेटा के मुताबिक, रीयल ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) वित्त वर्ष 25 में 6.4 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। यह वित्त वर्ष 24 में 7.2 फीसदी से कम है। वहीं, नॉमिनल GVA वित्त वर्ष 25 में 9.3 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है। यह पिछले वित्त वर्ष में 8.5 फीसदी की ग्रोथ के मुकाबले कुछ अधिक है।
जीडीपी ग्रोथ का अनुमान जारी करने की वजह
एडवांस जीडीपी एस्टिमेट से बजट तैयार करने के लिए अहम डेटा मिलते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को बजट पेश करेंगी। जीडीपी से जुड़े अनुमानों से जो डेटा मिला है, उस हिसाब से उन्हें और उनके मंत्रालय को नीतियां बनने में मदद मिलेगी। जैसे कि कौन-सा सेक्टर सुस्त पड़ रहा है, किसे ज्यादा मदद की जरूरत है आदि। वित्त मंत्री अलग-अलग क्षेत्र के प्रतिनिधियों से मुलाकात भी कर रही हैं, ताकि उनकी समस्याओं को दूर करने वाला बजट पेश कर सकें।
भारत की जीडीपी ग्रोथ धीमी क्यों पड़ रही है?
भारत की अर्थव्यवस्था खपत आधारित है। पिछले कुछ महीनों के दौरान खपत में कमी आई है, जिसका असर इकोनॉमिक ग्रोथ पर देखा जा रहा है।
पिछले कुछ महीने से महंगाई भी काफी ज्यादा बढ़ी है। लेकिन, उस हिसाब से लोगों की कमाई नहीं बढ़ रही है, जिससे चीजों की बिक्री नहीं बढ़ रही।
ऑटोमोबाइल से लेकर कई अन्य सेक्टर की कंपनियों के पास इन्वेट्री भी काफी बढ़ गई है। इसका मतलब है कि मार्केट में डिमांड काफी कम हो गई है।
वैश्विक अनिश्चितता से व्यापार प्रभावित हो रहा है। हूती विद्रोहियों के लाल सागर में हमले ने भारत की आयात-निर्यात पर काफी बुरा प्रभाव डाला है।
भारतीय कंपनियों के तिमाही नतीजे लगातार कमजोर आ रहे हैं। इससे विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। यह भी एक बड़ा फैक्टर है।