पुरानी कारों की बिक्री में ‘लाभ’ होने पर ही देना होगा GST

पंजीकृत इकाई को पुराने वाहन की बिक्री पर जीएसटी विक्रेता को मार्जिन यानी लाभ होने पर ही देना होगा। ‘मार्जिन’ राशि से आशय बिक्री मूल्य का वाहन के मूल्यह्रास समायोजित लागत मूल्य से अधिक होने से है।

उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद ने पिछले सप्ताह अपनी बैठक में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) सहित सभी पुराने वाहनों की बिक्री पर जीएसटी की 18 प्रतिशत की एकल दर निर्धारित करने का फैसला लिया था। पहले अलग-अलग दरें लगाई जाती थीं। अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को पुरानी कार बेचता है तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा।

ऐसे समझे जीएसटी का गणित

जहां पंजीकृत इकाई ने आयकर अधिनियम 1961 की धारा 32 के तहत मूल्यह्रास का दावा किया है, ऐसी स्थिति में जीएसटी केवल आपूर्तिकर्ता के ‘मार्जिन’ वाले मूल्य पर देना होगा। जहां ऐसा मार्जिन मूल्य नकारात्मक है, वहां कोई जीएसटी नहीं लगेगा।

उदाहरण के लिए, अगर कोई पंजीकृत इकाई 20 लाख रुपये की खरीद कीमत वाले किसी पुराने वाहन को 10 लाख रुपये में बेच रही है और उसने आठ लाख रुपये के मूल्यह्रास का दावा किया है तो उसे जीएसटी नहीं देना होगा।

इसका कारण यह है कि आपूर्तिकर्ता का बिक्री मूल्य 10 लाख रुपये है और जबकि मूल्यह्रास के बाद उस वाहन की मौजूदा कीमत 12 लाख रुपये बैठती है। इस तरह विक्रेता को बिक्री पर कोई लाभ नहीं मिल रहा है। अगर मूल्यह्रास के बाद मूल्य 12 लाख रुपये पर समान रहता है और बिक्री मूल्य 15 लाख रुपये है, तो आपूर्तिकर्ता के ‘मार्जिन’ यानी तीन लाख रुपये पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी देना होगा।

एक्सपर्ट ने क्या कहा?
ईवाई टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी परिषद ने पुरानी और इस्तेमाल की गई ईवी और छोटी जीवाश्म ईंधन कारों पर जीएसटी दर को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने की सिफारिश की है, जो कि बड़ी कारों और एसयूवी के लिए लागू की गई दर के अनुरूप है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सेकेंड हैंड वाहनों पर जीएसटी केवल मार्जिन पर लागू होगा न कि वाहनों के बिक्री मूल्य पर। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधन से पहले सेकेंड हैंड ईवी पर जीएसटी वाहन के पूरे बिक्री मूल्य पर लागू होता था।

पॉपकॉर्न पर लगेगा पांच प्रतिशत जीएसटी
सिनेमाघर में खुले तौर पर बेचे जाने वाले पॉपकॉर्न पर रेस्तरां की तरह ही पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता रहेगा। हालांकि, अगर पॉपकॉर्न को मूवी टिकट के साथ मिलाकर बेचा जाता है तो आपूर्ति को संयुक्त आपूर्ति माना जाएगा और उस पर मुख्य आपूर्ति, यानी टिकट की लागू दर के अनुसार जीएसटी लगाया जाएगा।

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