प्रदूषण से घुटा दिल्ली के जल निकायों का दम

इनमें डाले जाने वाला कचरे, मलबे, पॉलीथीन, प्लास्टिक की बोतल समेत दूसरे प्रदूषकों ने जल निकायों की जान निकाल दी है। इसी तरह का एक मामला राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के सामने आया है।

राजधानी के जल निकायों का प्रदूषण से दम घुट रहा है। इनमें डाले जाने वाला कचरे, मलबे, पॉलीथीन, प्लास्टिक की बोतल समेत दूसरे प्रदूषकों ने जल निकायों की जान निकाल दी है। इसी तरह का एक मामला राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के सामने आया है। इसमें आया नगर गांव के खसरा संख्या-1706 में स्थित जोहड़ बेदम पड़ा है। इस पर एनजीटी ने तल्ख तेवर दिखाए हैं। कोर्ट ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को उचित और दंडात्मक कार्रवाई करने और मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है।

इससे पहले डीपीसीसी ने अदालत को एक रिपोर्ट सौंपी थी। उसमें कचरा डालने, पार्क में गायों और मवेशियों को धोने, तालाब में ऐसे पानी के निर्वहन, इलाके में सीवेज सिस्टम की अनुपस्थिति और तालाब में खुले नाले से सीवेज के निर्वहन की पुष्टि की थी। यह सीधे तौर पर पर्यावरण नियमों के उल्लंघन का मामला है। हालांकि, 16 अगस्त, 2024 के आदेश में अदालत ने संबंधित पक्षों को पक्षकार बनाया था, लेकिन किसी भी प्रतिवादी की ओर से कोई उत्तर नहीं मिला।

एमसीडी के वकील ने मांगा चार हफ्ते का समय
सुनवाई के दौरान एमसीडी के वकील ने अदालत को बताया कि उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि यह तालाब डीडीए की ओर से रखरखाव के उद्देश्य से 5 जुलाई, 2022 को एमसीडी को सौंप दिया गया था। अब डीडीए उक्त तालाब को वापस नहीं ले रहा है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, पिछली कार्यवाही में डीडीए को प्रतिवादी के रूप में शामिल किया था, लेकिन उसका प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ। ऐसे में अधिकरण ने अगली सुनवाई की तारीख 24 मार्च, 2025 से कम से कम एक हफ्ते पहले हलफनामे के माध्यम से डीडीए को जवाब दाखिल करने के लिए नया नोटिस जारी किया।

एनजीटी का डीजेबी को नोटिस जारी
अदालत ने कहा, उन्हें यह भी बताया गया है कि संबंधित क्षेत्र में नालियों का निर्माण और रखरखाव दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की जिम्मेदारी है। इस स्थिति में डीजेबी के सीओ को कोर्ट ने प्रतिवादी बनाया। अधिकरण ने नए शामिल प्रतिवादी डीजेबी को अगली सुनवाई की तारीख से कम से कम एक सप्ताह पहले हलफनामे के माध्यम से जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया। पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए सेंथिल वेल भी पीठ में शामिल थे।

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