नर्सिंगकर्मी के भरोसे चल रहा है राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय

जिले के गोयला में राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय पिछले एक साल से प्रभारी वैद्य की नियुक्ति नहीं होने के कारण नर्सिंगकर्मी के भरोसे चल रहा है। हालांकि अतिरिक्त प्रभार पर एक वैद्य की नियुक्ति की गई है लेकिन ये पर्याप्त नहीं है।

जिले का एक आयुर्वेदिक औषधालय मात्र एक नर्सिंगकर्मी के भरोसे चल रहा है, यहां प्रभारी वैद्य का पद पिछले एक साल से रिक्त पड़ा है। हालांकि यहां एक अन्य जगह के वैद्य को सप्ताह में दो दिन के लिए अतिरिक्त प्रभार पर लगा रखा है, मगर उनकी अनियमित व अपर्याप्त उपस्थिति के कारण इस औषधालय में नर्सिंगकर्मी द्वारा ही मरीजों को अटेंड कर दवाइयां दी जा रही हैं।

केकड़ी जिले में गोयला ग्राम का राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय गत एक साल से मात्र एक नर्सिंगकर्मी के भरोसे चल रहा है। यहां चिकित्सा प्रभारी वैद्य का पद रिक्त होने से मरीजों को किसी भी प्रकार की चिकित्सा सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इलाके के लोगों को आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए करीब 15 लाख रुपयों की लागत से औषधालय बनाया गया था, लेकिन कुप्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते यह औषधालय अनुपयोगी होकर धूल फांक रहा है।

यहां पिछले एक साल से चिकित्सा प्रभारी वैद्य का पद रिक्त चल रहा है, जिसके कारण यह आयुर्वेद औषधालय एक नर्सिंग स्टाफ के भरोसे चल रहा है। औषधालय में स्टॉफ के नाम पर मात्र एक नर्सिंगकर्मी सुनीता छीपा नियुक्त हैं, जो औषधालय आकर ताला खोलकर बैठ जाती है और दिन भर में आने वाले गिने-चुने मरीजों को अपने हिसाब से दवा दे देती हैं।

हालांकि यहां पर ग्राम सराना के आयुर्वेदिक चिकित्सालय में नियुक्त वैद्य पवन कुमार की एक सप्ताह में सोमवार व मंगलवार दो दिन के लिए ड्यूटी लगा रखी है, मगर इससे औषधालय की व्यवस्थाएं सुचारू नहीं बन पा रही हैं। लोगों को योग के लिए प्रेरणा व प्रशिक्षण देने के लिए गोयला के औषधालय में एक योग कक्ष भी बनवाया गया है, लेकिन यहां भी ताले लटके हुए हैं।

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