सदन में गूंजेगा मुद्दा: बढ़ता जा रहा बिजली निजीकरण के प्रस्ताव पर आक्रोश

यूपी में बिजली निजीकरण के प्रस्ताव पर आक्रोश बढ़ता जा रहा है। पंचायत में निर्णय हुआ कि इसका विरोध होता रहेगा। सपा-कांग्रेस ने सदन में मुद्दा उठाने का आश्वासन दिया है।

यूपी में पूर्वांचल और दक्षिणांचल बिजली निगमों को निजी हाथों में देने का विरोध बढ़ता जा रहा है। ऊर्जा संगठन निरंतर प्रदर्शन कर रहे हैं। शनिवार को अभियंता संघ ने विभिन्न कार्यालयों पर शाम को सभाएं कीं तो वाराणसी में बिजली पंचायत हुई।

ऑफिसर्स एसोसिएशन ने जनप्रतिनिधियों को पूरे मामले की जानकारी देते हुए उनसे सदन में यह मुद्दा उठाने का अनुरोध किया है। सपा-कांग्रेस व अन्य दलों के नेताओं ने इस मामले को लोकसभा एवं विधानसभा में उठाने का आश्वासन भी दिया है। कार्मिकों ने निजीकरण का विरोध जारी रखने का एलान किया है।

निजीकरण के बहाने आरक्षण खत्म करने की साजिश
पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन की शनिवार को फील्ड हॉस्टल में हुई बैठक में तय किया गया कि निजीकरण का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। क्योंकि निजीकरण के जरिये आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने की साजिश हो रही है।

पदाधिकारियों ने जनप्रतिनिधियों से भी निजीकरण का विरोध करने की अपील की है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने जिन सांसदों-विधायकों ने पूरे मामले को लोकसभा एवं विधानसभा में उठाने का आश्वासन दिया है, उनका आभार जताया गया।

इस दौरान संकल्प लिया गया कि कॉर्पोरेशन प्रबंधन की हर गतिविधि से उपभोक्ताओं और कार्मिकों को अवगत कराया जाएगा। पदाधिकारियों ने नियम विरुद्ध बने मसौदे को एनर्जी टास्क फोर्स में रखने और कैबिनेट में ले जाने की तैयारी पर नाराजगी जताई। बैठक में एसोसिएशन के अध्यक्ष केबी राम, कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, अनिल कुमार, आरपी केन, बिंदा प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, अजय कुमार व प्रभाकर आदि शामिल हुए।

नेताओं से मिले अभियंता
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के पदाधिकारियों ने शनिवार को विभिन्न दलों के नेताओं से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। केंद्रीय अध्यक्ष गोपाल वल्लभ पटेल ने बताया कि एमएलसी आशुतोष सिन्हा, विधायक सौरभ जायसवाल और राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने आश्वासन दिया है कि इस मसले को सरकार तक पहुंचाएंगे।

उपभोक्ताओं ने कहा- वापस हो निजीकरण का फैसला
उपभोक्ता परिषद की ओर से ऊर्जा संरक्षण दिवस पर हुए वेबिनार में उपभोक्ताओं ने बिजली निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की मांग की। उपभोक्ताओं ने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने भी कहा था बिजली सस्ती नहीं, बहुत सस्ती हो और हमेशा सरकारी क्षेत्र में होनी चाहिए।

इसके बावजूद प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी से निजीकरण की शुरुआत हो रही है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि सभी उपभोक्ताओं की बात से पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन को अवगत कराया जाएगा।

निगमों एवं परियोजना कार्यालयों पर हुईं विरोध सभाएं
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से प्रदेशभर के बिजली कार्यालयों, परियोजना कार्यालयों पर कर्मियों ने विरोध सभाएं की। अभियंताओं ने प्रबंधन के फैसले के विरोध में नारेबाजी की। शनिवार शाम लखनऊ के शक्ति भवन, मध्यांचल सहित अन्य कार्यालयों के सामने जुटे बिजली कार्मिकों ने विरोध जताया। हाइडिल कॉलोनी में कार्मिकों व उनके परिजनों ने भी प्रदर्शन किया।

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