रील्स ने बाजार में ऐसे छोड़ी अपनी छाप, बदल दिया कंटेंट कंजप्शन का तरीका

छोटे वीडियो की बड़ी ताकत से आज हर कोई परिचित है। यह कोई क्षणिक ट्रेंड नहीं है बल्कि ग्राहकों के बदलते व्यवहार और छोटे लेकिन प्रभावी कंटेंट की ताकत का सशक्त प्रमाण भी है। अगले साल यानी 2025 में रील्स के यूजर्स और भी बढ़ने की संभावना है। हम यहां 2024 में रील्स और शार्ट वीडियो के बढ़े प्रभाव और भविष्य की संभावनाओं का आकलन कर रहे हैं।

संपर्क और संवाद के बेजोड़ माध्यम के रूप में में शुरू हुआ इंटरनेट मीडिया आज क्रिएटिविटी का सबसे बड़ा प्लेग्राउंड है। साल 2024 में आस जिस तरह शार्ट वीडियो यानी दुनिया का मिजाज बदला, उसे किसी क्रांति से कम नहीं कहा जा सकता। आकर्षण इस हद तक, कि बात ‘ब्रेनरोट’ जा पहुंची है, यानी इंटरनेट मीडिया अब लोगों की मनोदशा को किसी नशीले पदार्थ की तरह प्रभावित करने लगा है। इसी ‘ब्रेनरोट’ शब्द को आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने 2024 के नए शब्द के रूप में शामिल किया है।

क्यों खास बन रहे हैं रील्स और मीम्स इंटरनेट मीडिया पर रील्स और मीम्स ने निस्संदेह कंटेंट के आकर्षण में बेशुमार वृद्धि की है। मात्र एक साल में (2023 से 2024 के बीच) इन प्रारूपों में कंटेंट देखने की आवृत्ति 230 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। यहां तक कि कंटेंट की गुणवत्ता की परवाह किए बगैर ही लोग इंटरनेट मीडिया पर रोजाना अपना घंटों का वक्त जाया कर देते हैं। आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और साइकोलाजिस्ट एंड्रयू प्रजिबिल्स्की की मानें तो ‘ब्रेनरोट’ हम जिस समय में जी रहे हैं, उसकी सबसे बड़ी सच्चाई है। आत्म अभिव्यक्ति से लेकर वायरल बनने की ललक ने जिस तरह रील्स को लोकप्रिय बनाया है, उससे इंटरटेनमेंट ही नहीं, बल्कि क्विक कामर्स जैसी अनेक इंडस्ट्रीज ने भी बदलाव महसूस किया है। दूसरे अर्थों में कहें, तो आज रील्स को मनोरंजन के वैकल्पिक साधन तक ही सीमित नहीं किया जा सकता है, इसमें अपार संभावनाएं हैं।

शार्ट वीडियो का प्रभाव
आज जब लोगों की एकाग्रता की अवधि (अटेंशन स्पैन) कम होती जा रही है तो शार्ट वीडियोज आडियंस का सबसे पसंदीदा माध्यम बन रहे हैं। बीते कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब शार्ट्स और टिक-टाक (भारत में बैन) ने यूजर उपयोगी टूल्स के चलते अपनी लोकप्रियता में बेशुमार वृद्धि की है। एक सर्वेक्षण बताता है कि 44 प्रतिशत लोग किसी उत्पाद की जानकारी के लिए पहले शार्ट वीडियो देखना पसंद करते हैं। मेटा के एक सर्वे में भी 59 प्रतिशत लोगों ने माना कि किसी प्रोडक्ट की खरीदारी के लिए वे सबसे ज्यादा भरोसा रील्स और इन्फ्लुएंसर पर करते हैं। इन्फ्लुएंसर लोगों की खरीदारी की आदतों और निर्णय लेने के तौर-तरीकों को बदल रहे हैं।

मार्केटिंग को मिला नया हथकंडा
इंटरटेनमेंट ट्रेंड के रूप में शुरू हुआ शार्ट वीडियो का चलन आज मार्केटिंग की सबसे बड़ी प्राथमिकता बन चुका है। आधे से अधिक मार्केटर शार्ट फार्म वीडियो के माध्यम से व्यापक ग्राहक वर्ग तक पहुंच बढ़ाने का प्रयास करते हैं। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि इस तरह के वीडियो को तैयार करने और साझा करने में काफी सहजता होती है, यानी शार्ट वीडियो को बहुत ही कम लागत में तैयार कर विभिन्न माध्यम से साझा और वायरल किया जा सकता है।

इंस्टाग्राम ने की ट्रेंड की अगुवाई
चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आनलाइन मार्केट है। भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या १० करोड़ से अधिक हो चुकी है। बेन एंड कंपनी की एक रिपोर्ट बताती है कि 2025 तक चार में से तीन इंटरनेट यूजर शार्ट फार्म वीडियो का प्रयोग करने लग जाएंगे और यूजर दिनभर में औसतन अपना 55 से 90 मिनट का समय रील्स पर खर्च कर देंगे। इसलिए, शार्ट फार्मेट वीडियो की मांग में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। वैसे भी भारत पहला देश है जहां रील्स को शुरुआत में टेस्ट किया गया था, इसके बाद तो कंटेंट क्रिएशन का भारत बड़ा अड्डा ही बन गया।

इंटरनेट मीडिया के लोकप्रिय फीचर्स
क्रिएटर्स के लिए इंटरनेट मीडिया पर रील्स सबसे ज्यादा पसंदीदा फीचर है, क्योंकि पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों ही तरह के कंटेंट को यह संतुलित करता है। इसके कंटेंट के लिए अन्य फीचर्स भी हैं।

स्टोरीज: फोटो या वीडियो अपलोड करके निजी जिंदगी के महत्वपूर्ण पलों को साझा कर सकते हैं।
स्टेटिक पोस्ट: इसमें यूजर कंटेंट और फोटो को इंटरनेट मीडिया अकाउंट पर पोस्ट करते हैं।
ब्राडकास्ट चैनल: एक चैनल के प्रारूप में अलग-अलग तरह के कंटेंट को आडियंस के साथ साझा किया जाता है।
रील्स: मनोरंजक कंटेंट साझा करने के लिए यह सबसे लोकप्रिय फीचर है।

रील्स ट्रेंड्स की क्षमता
निकट भविष्य में यूजर जेनरेटेड कंटेंट में एआइ और वर्जुअल रियलिटी जैसी तकनीकें नई संभावनाओं के अवसर खोलेंगी। हम ऐसे ट्रेंड की भी कल्पना कर सकते हैं, जहां एआइ फिल्टर, इंटरैक्टिव स्टोरीटेलिंग या एआइ- जेनरेटेड म्यूजिक को हर यूजर के लिए पर्सनलाइज करना संभव होगा। वैसे भी आज एआइ आधारित फीड सुझाव लगातार बढ़ रहे हैं, तो वहीं मेटा एआइ और कोपायलट जैसे एआइ माडल के प्रयोग से जिज्ञासा के समाधान, टेक्स्ट जेनरेट करने और भाषाओं के अनुवाद में मदद ली जाने लगी है।

नए कंटेंट और नए दर्शक
देश में बहुसंख्य आबादी हिंदी भाषी है और क्षेत्रीय भाषाओं का भी अलग-अलग क्षेत्रों में प्रभुत्व है। इंस्टाग्राम क्रिएटर्स को विभिन्न भाषाओं में कंटेंट बनाने की सुविधाएं देता है। खास बात है कि इंस्टाग्राम पर 20 लाख से अधिक फालोअर्स वाले 100 प्रभावी पेजों में आधे से अधिक छोटे शहरों और कस्बों से हैं। मनोरंजन, एजुकेशन, टेक, आटो के अलावा आज नए जॉनर के कंटेंट क्रिएटर्स पहचान बना रहे हैं। मेटा ने इनके लिए म्यूजिक लाइब्रेरी के अलावा रील टेप्लेट, शिड्यूलिंग ऑप्शन, ट्रोल्स को मैनेज करने और और कमेंट को फिल्टर करने जैसी कई सुविधाएं भी दी हैं।

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