दत्तात्रेय जयंती आज, नोट करें पूजा मुहूर्त
सनातन धर्म में दत्तात्रेय जयंती बेहद शुभ मानी गई है। यह हर साल मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि भगवान दत्तात्रेय के जन्म का प्रतीक है जो इस साल (Dattatreya Jayanti 2024 Date) 14 दिसंबर यानी आज मनाई जा रही है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा-पाठ और व्रत रखने से जीवन में शुभता आती है।
दत्तात्रेय जयंती का दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन हिंदुओं के बीच बड़ा धार्मिक महत्व रखता है। ऐसा कहा जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि पर भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। इस साल दत्तात्रेय जयंती (Dattatreya Jayanti 2024) 14 दिसंबर, 2024 दिन शनिवार यानी आज मनाई जा रही हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्री दत्तात्रेय भगवान की आराधना करने से जीवन के सभी संकटों का नाश होता है, तो आइए उन्हें प्रसन्न करने की पूजन विधि जानते हैं।
दत्तात्रेय जयंती पूजा मुहूर्त (Dattatreya Jayanti 2024 Puja Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 23 मिनट से 05 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। निशिता मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 49 मिनट से 15 दिसंबर रात 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। वहीं, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।
इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07 बजकर 06 मिनट से 15 दिसंबर सुबह 03 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। ऐसे में आप इस दौरान भगवान दत्तात्रेय की पूजा कर सकते हैं।
भगवान दत्तात्रेय पूजा मंत्र (Dattatreya Jayanti 2024 Puja Mantra)
ॐ द्रांदत्तात्रेयाय नम:।।
दिगंबरा-दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा।।
ऊं ह्रीं विद्दुत जिव्हाय माणिक्यरुपिणे स्वाहा।।
ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात।।
दत्तात्रेय भगवान की पूजा विधि (Dattatreya Ji Ki Puja Vidhi)
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। मंदिर व घर की अच्छी तरह सफाई करें। एक चौकी पर भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति स्थापित करें। उन्हें गंगाजल से स्नान करवाएं। सफेद चंदन व हल्दी का तिलक लगाएं। उन्हें फूल माला और मिठाई आदि अर्पित करें। वहीं, जिनके पास दत्तात्रेय जी की मूर्ति नहीं है, वे श्री हरि की भी प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं, क्योंकि कुछ लोगों को यह मानना है कि वह भगवान विष्णु के अवतार थे इसलिए भक्त भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा कर सकते हैं। साथ ही उन्हें तुलसी पत्र और पंचामृत जरूर अर्पित करें, जो लोग इस दिन उपवास का पालन करते हैं, उन्हें व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए।
इसके साथ ही अंत में आरती करनी चाहिए। इस दिन तामसिक चीजों से पूरी तरह दूर रहें। पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। जरूरतमंदों में कुछ दान जरूर करें।