इस मंदिर में होता है मंगल दोष का निवारण, दूर-दूर तक फैली है मान्यता

यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल दोष होता है तो ऐसी स्थिति में उसे जीवन में कई तरह की समस्याओं विशेषकर वैवाहिक जीवन संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आज हम आपको देश में स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पूजा करने से साधक को मंगल दोष से छुटकारा मिल सकता है।

भारत में ऐसे कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनकी मान्यता दूर-दूर तक फैली हुई है। एक ऐसा ही मंदिर महाकाल की नगरी उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे स्थित है, जिसे मंगलनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां मंगल दोष निवारण हेतु दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें।

क्यों खास है यह स्थान
मत्स्य पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि, इसी स्थान पर मंगल देव का जन्म हुआ था, जहां आज मंगलनाथ मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में मंगल देव की मूर्ति भी स्थापित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मंगल देव की उत्पत्ति महादेव से हुई है, इसलिए इस स्थान पर भगवान शिव की भी पूजा की जाती है। साथ ही इस स्थान को भगवान शिव के तपस्थल के रूप में भी माना जाता है। इस स्थान के पास एक कुंड भी है, जिसे “मंगल कुंड” के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने से साधक को मंगल देव साधक को शुभ फल प्रदान करते हैं।

मंगल देव की उत्पत्ति की कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मंगल देव के पिता महादेव हैं और माता पृथ्वी है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार अंधकासुर नामक एक राक्षस ने अपनी तपस्या से महादेव को प्रसन्न किया और यह वरदान मांगा कि जहां भी उसका रक्त गिरे, वहां भी सैकड़ों दैत्य उत्पन्न हो जाएं। इसके बाद उस राक्षस ने अपना आतंक फैलाना शुरू कर दिया।

तब भक्तों की पुकार सुन महादेव ने स्वयं अंधकासुर से युद्ध किया, जिससे उनका पसीना बहने लगा। जैसे ही महादेव का पसीना धरती पर गिरा, तो वह स्थान फटकर दो भागों में बट गया और उस स्थान से मंगल ग्रह की उत्पत्ति हुई। इसके बाद जब महादेव ने उस असुर का वध किया, तो उसके रक्त की सभी बूंदों को मंगल देव ने अपने अंदर समाहित कर दिया।

क्या है मान्यता
मंगलवार के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें भाग लेने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसा माना जाता है कि जो साधक मंगलनाथ मंदिर आकर विधिवत रूप से पूजन करते हैं, उन पर मंगल देव प्रकोप को शांत कर अपना आशीष बनाए रखते हैं। मंगल ग्रह के साथ-साथ इस मंदिर में नवग्रहों की भी पूजा की जाती है, जिससे विशेष लाभ मिलता है। मंगल की शांति के लिए यहां होने वाली भात पूजा भी काफी प्रचलित है।

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