IND vs AUS: एडिलेड में हार के बाद निशाने पर क्यों हैं गौतम गंभीर और अजीत अगरकर? जाने
भारतीय क्रिकेट टीम को एडिलेड में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद टीम को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं और आलोचकों के निशाने पर टीम के हेड कोच गौतम गंभीर हैं। गंभीर को हर्षित राणा और नीतीश रेड्डी के सेलेक्शन के कारण घेरा जा रहा है। दोनों का जब ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए सेलेक्शन हुआ था तो कहा गया था कि आईपीएल के आधार और गौतम गंभीर के फेवरेट होने के कारण सेलेक्शन हुआ है।
एक बार फिर ये बातें कही जा रही हैं। राणा आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए खेलते हैं। गौतम गंभीर टीम इंडिया के कोच बनने से पहले इसी टीम के मेंटर थे। गंभीर को राणा को फेवर करने की बातें भी उठ रही हैं। इस बीच बीसीसीआई की चीफ सेलेक्टर अजीत अगरकर का नाम भी आया है।
अगरकर का मिला सपोर्ट
नीतीश और राणा ने पर्थ में खेले गए टेस्ट मैच में डेब्यू किया। दोनों ने अपने खेल से प्रभावित किया। इसी कारण एडिलेड में भी उन्हें जगह मिली। लेकिन एडिलेड में राणा फेल हो गए। सवाल उठने लगे गंभीर पर। आकाशदीप की जगह राणा को खिलाए जाने पर कहा जाने लगा कि गंभीर केकेआर के कारण राणा को तवज्जो दे रहे हैं। हालांकि, राणा और नीतीश को टेस्ट टीम में चुनने का फैसला सिर्फ गंभीर का नहीं था। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ सेलेक्टर अजीत अगरकर ने इस फैसले में गंभीर का पूरा साथ दिया था और राणा के साथ नीतीश को भी चुना था।
राणा ने पहले टेस्ट मैच में अच्छी गेंदबाजी की थी और ट्रेविस हेड जैसे बल्लेबाज को अपना शिकार बनाया था। पहले मैच में उन्होंने चार विकेट लिए थे। हालांकि, दूसरे मैच में उन्हें विकेट नहीं मिले। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने आसानी से उनके खिलाफ रन बनाए। वहीं नीतीश ने दोनों मैचों में अपने बल्ले से अहम पारियां खेलीं और बताया कि वर्ल्ड क्लास गेंदबाजी का सामना करने के लिए जो हिम्मत चाहिए होती है वो उनके पास है।
गंभीर-अगरकर लेते हैं कड़े फैसले
गंभीर की छवि है कि वह जिन खिलाड़ियों पर भरोसा करते हैं उनका समर्थन करते हैं। इसका एक उदाहरण नवदीप सैनी है जिसके लिए गंभीर ने दिल्ली टीम के कोच भास्कर से लड़ाई तक कर ली थी। अगरकर भी उसी तरह के शख्स हैं जो अपने चुनाव पर भरोसा करते हैं और जिन खिलाड़ियों को चुनते हैं उनका समर्थन करते और पर्याप्त मौके देते हैं। उनमें भी बड़े फैसले लेने की क्षमता है और इसकी एक बानगी श्रेयस अय्यर, ईशान किशन के मामले में देखने को मिली थी। वहीं रोहित शर्मा के टी20 के संन्यास लेने के बाद हार्दिक पांड्या का अगला कप्तान बताया जा रहा था। बीसीसीआई में भी कई लोग यही चाहते थे, लेकिन अगरकर और गंभीर ने सभी को दरकिनार करते हुए सूर्यकुमार को कप्तान बनाया क्योंकि दोनों का मानना था कि पांड्या की फिटनेस उनके रास्ते में आने वाली सबसे बड़ी रुकावट है।ऐसे में नीतीश और राणा के सेलेक्श को लेकर भी चाहे आलोचक कुछ भी कहते रहें। गंभीर और अगरकर ने अगर मिलकर दोनों को चुना है तो फिर इन दोनों का साथ भी देंगे। ये ठीक उसी तरह है जिस तरह टीम इंडिया के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर 2008 में चीफ सेलेक्टर थे तो उन्होंने रोहित शर्मा के लिए मुंबई क्रिकेट से लड़ाई लड़ी और टीम इंडिया में लेकर आए। वहीं विराट कोहली के लिए भी वह एमएस धोनी और तब के टीम इंडिया के कोच गैरी कर्स्टन से भिड़ बैठे थे।
रोहित ने भी दिया साथ
रोहित से जब दूसरे टेस्ट मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में राणा के सेलेक्शन को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पहले मैच में इस युवा गेंदबाज ने अच्छी गेंदबाजी की थी। उन्होंने कहा, “राणा ने पहले टेस्ट मैच में कुछ गलत नहीं किया था। उन्होंने जो भी किया था काफी अच्छा किया था। टीम को जब अहम विकेट चाहिए थे तब उन्होंने दिलाए। मैं मानता हूं कि जब किसी ने कुछ गलत नहीं किया है तो बिना किसी कारण के बाहर नहीं किया जा सकता और करना भी नहीं चाहिए।”