हर बार जरूरी नहीं होती है Strict Parenting
आजकल बच्चों को पालना एक कठिन ड्यूटी है, एक ऐसा टास्क है जिसे हर किसी को बिना किसी अनुभव के करना होता है। पेरेंटिंग के पैमाने पहले की तुलना में आज काफी बदल गए हैं। पेरेंटिंग के कई प्रकार हो चुके हैं जैसे जेंटल पेरेंटिंग, ऑथोरिटैरियन पेरेंटिंग, सबमिसिव पेरेंटिंग, ऑथोरोटेटिव पेरेंटिंग, नेगलेक्टफुल पेरेंटिंग। इन सभी में ऑथोरिटैरियन पेरेंटिंग सबसे सख्त मानी जाती है। इसमें पेरेंट्स अपनी बात को ही सही साबित करते हैं और उसी को फॉलो करने के सख़्त निर्देश बच्चों को देते हैं।
ऐसे में सख्त पेरेंटिंग के अपने फायदे और नुकसान हैं। इसके फायदे बड़े ही शॉर्ट टर्म होते हैं। सख़्त पेरेंटिंग की नींव डर के आधार पर टिकी हुई होती है। ये बच्चे को एक प्रकार से बुली करती है और बच्चे को ये सिखाती है कि जो पावरफुल है मात्र वही सही है। सख़्त पेरेंटिंग करने वाले मां बाप अपने बच्चे के साथ कुछ गलत होने कतई बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और इसलिए सुरक्षा के तौर पर वे अपने सख्त नियम की नियमावली अपने बच्चों को सौंप देते हैं। इससे एक लक्ष्मण रेखा खिंच जाती है जिसके अंदर तो बच्चा पूरी तरह सुरक्षित है लेकिन इसे पार करने पर बच्चे को निश्चित रूप से सज़ा मिलती है। इस प्रकार की पेरेंटिंग से बच्चा तुरंत अपने बड़ों की बात मान लेता है और उन्हें खुश रखने के लिए अपनी भावनाओं की परवाह नहीं करता है।
आइए जानते हैं सख्त पेरेंटिंग के मुख्य नुकसान-
उदास और डिप्रेस्ड बचपन- जब बच्चे को कुछ ऐसे नियम का पालन करना पड़ता है जिसे वो करने में खुश नहीं है और इसके साथ वो अपनी भावनाएं खुल कर व्यक्त भी नहीं कर पाता है तो वो उदास रहने लगता है जो कि डिप्रेशन की तरफ भी खींच सकती है।
एंटी सोशल व्यावहारिक समस्याएं- सख्त पेरेंटिंग से पले हुए बच्चे बहुत अधिक खुल कर लोगों से बात करने में असमर्थ होते हैं। अंदर से डरे सहमे होते हैं जिसके कारण वे एंटी सोशल बन जाते हैं।
चोरी करना और झूठ बोलना- गलतियां करने पर डांट मार खाने के डर से बच्चे झूठ बोलना शुरू करते हैं। इच्छाएं पूरी न होने पर गलत रास्ते अपनाने हैं जैसे चोरी करना, झूठ बोलना आदि।
सख्त पेरेंटिंग के और भी कई ढेर सारे नुकसान हैं जैसे-
आत्मविश्वास की कमी
दोस्तों से आसानी से प्रभावित
भविष्य में रिलेशनशिप में समस्या
ओवरथिंकिंग