UN की शीर्ष अदालत में जलवायु परिवर्तन का ऐतिहासिक मामला शुरू

संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने सोमवार को दो सप्ताह तक चलने वाली अपनी ऐतिहासिक सुनवाई शुरू की है। सुनवाई के दौरान दुनिया भर के 15 जज इस पर विचार करेंगे कि जलवायु परिवर्तन से निपटने और कमजोर देशों को इसके विनाशकारी प्रभाव से लड़ने में मदद के लिए दुनिया भर के देशों को कानूनी तौर पर क्या करना चाहिए।

न्यायालय दो सप्ताह तक 99 देशों और एक दर्जन से अधिक अंतर-सरकारी संगठनों की सुनवाई करेगा। यह संस्था के लगभग 80 साल के इतिहास में सबसे बड़ी सुनवाई है। समुद्र स्तर बढ़ने से छोटे द्वीपों को अस्तित्व खत्म होने का डर सता रहा। उनकी मांग है कि प्रदूषण फैलाने वाले प्रमुख देशों को जिम्मेदार ठहराया जाए।

न्यायालय द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय बाध्यकारी सलाह नहीं होगा और सीधे तौर पर धनी देशों को संघर्षरत देशों की मदद के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा। फिर भी यह एक शक्तिशाली प्रतीक से कहीं अधिक होगा। यह घरेलू मुकदमों सहित अन्य कानूनी कार्रवाइयों का आधार बन सकता है। प्रशांत द्वीपीय देश वानुअतु की कानूनी टीम का कहना है कि हम चाहते हैं कि अदालत इस बात की पुष्टि करे कि जिस आचरण ने जलवायु को नुकसान पहुंचाया है, वह गैरकानूनी है।

दरअसल, वानुअतु उन छोटे देशों के समूह में से एक है, जो जलवायु संकट में अंतरराष्ट्रीय कानूनी हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। 2023 तक समुद्र का स्तर वैश्विक औसत लगभग 4.3 सेंटीमीटर (1.7 इंच) बढ़ गया है, जबकि प्रशांत के कुछ हिस्सों में अब भी ऊंचाई बढ़ रही है। जीवाश्म ईंधन के जलने के कारण पूर्व-औद्योगिक काल से दुनिया 1.3 डिग्री सेल्सियस (2.3 फ़ारेनहाइट) गर्म हो गई है।

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