राजस्थान : विद्युत कर्मियों ने निजीकरण के विरोध में किया कार्य बहिष्कार

हनुमानगढ़ में विद्युत क्षेत्र में उत्पादन, प्रसारण एवं वितरण निगमों में भिन्न-भिन्न प्रक्रियाओं एवं मॉडल के नाम पर किए जा रहे निजीकरण पर रोक लगाने की मांग के संबंध में विद्युत अधिकारियों व कर्मचारियों ने राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले सोमवार को एक दिवसीय कार्य बहिष्कार किया। कार्य बहिष्कार कर विद्युत अधिकारियों व कर्मचारियों ने जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के सहायक अभियंता कार्यालय में धरना दिया। धरने के बाद मुख्यमंत्री के नाम सहायक अभियंता को ज्ञापन सौंपा।

संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने कहा कि विद्युत के क्षेत्र में उत्पादन, प्रसारण एवं वितरण में भिन्न-भिन्न प्रक्रियाओं एवं मॉडल के नाम पर किए जा रहे निजीकरण पर रोक लगाने की मांग राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से की गई थी, परन्तु विद्युत प्रशासन की ओर से निजीकरण रोकने के लिए अभी तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि विद्युत क्षेत्र का निर्माण व संचालन राज्य सरकार की ओर से निगम के माध्यम से उद्योग धंधों के विकास, कृषि के उपयोग व घरेलू उपभोक्ताओं के दैनिक उपभोग के लिए किया जाता है।

राज्य सरकार की ओर से इस विद्युत क्षेत्र का संचालन बिना लाभ-हानि के सिद्धांत पर अपनी राज्य की जनता के प्रति लोक कल्याणकारी सरकार की सामाजिक जिम्मेदारी के निर्वहन के लिए किया जाता है। परन्तु वर्तमान सरकार अपनी लोक कल्याणकारी भूमिका को छोड़कर विद्युत क्षेत्र को लाभ-हानि के आधार पर संचालन की मंशा से आगे बढ़ रही है। उसी के कारण विद्युत प्रशासन की ओर से विद्युत के वितरण, प्रसारण व उत्पादन में वर्तमान से द्रुतगति से भिन्न-भिन्न प्रक्रियाओं एवं मॉडल के नाम पर निजीकरण किया जा रहा है। ज्ञापन के जरिए मांग की गई कि नए कर्मचारियों की भर्ती कर ग्रिड सब स्टेशनों व तापीय विद्युत उत्पादन गृह का संचालन निगम कर्मचारियों के माध्यम से करवाया जाए।

कर्मचारियों को ओपीएस योजना का पूर्ण लाभ देने के लिए सीपीएफ कटौती बंद कर जीपीएफ कटौती शुरू की जाए। स्मार्ट मीटर लगाए जाने से पहले बिहार, महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश आदि में स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक लगाए जाने के कारणों का अध्ययन/विश्लेषण कर ही स्मार्ट मीटर योजना पर आगे बढ़ा जाए। पावर प्लांटों को नए पावर प्लांटों के लिए धन की कमी का बहाना बताकर केन्द्रीय सार्वजनिक निगमों के साथ संयुक्त उपक्रम बनाकर हस्तांतरित करने की प्रक्रिया को बंद किया जाए। ज्ञापन में चेतावनी दी गई कि इन मांगों पर संज्ञान नहीं लिए जाने पर आंदोलन किया जाएगा। इस मौके पर कुलदीप शर्मा, कृष्णसिंह राजावत सहित कई अन्य अधिकारी-कर्मचारी मौजूद थे।

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