ग्रेच्युटी के लिए नॉमिनी बनाने का क्या है प्रोसेस

किसी भी संस्थान में लंबे वक्त तक काम करने के बाद कर्मचारियों को ग्रेच्युटी मिलती है। यह रकम एक तरह से उनकी वफादारी का इनाम होती है। ग्रेच्युटी अमूमन रिटायरमेंट के बाद मिलती है, लेकिन अगर आप एक तय समय के बाद जॉब छोड़ते हैं, तब भी आपको ग्रेच्युटी मिलेगी।

लेकिन, अगर किसी कर्मचारी की नौकरी के दौरान असमय मृत्यु हो जाती है, तो ग्रेच्युटी की रकम उसके नॉमिनी को मिलती है। आइए जानते हैं कि ग्रेच्युटी के लिए नॉमिनी कैसे चुना जाता है।

नॉमिनी चुनना क्यों जरूरी है?

ग्रेच्युटी के रूप में एकमुश्त अच्छी-खासी रकम मिलती है। कर्मचारी के न रहने की स्थिति में इस रकम को लेकर परिवार में विवाद भी हो सकता है। इससे बचने के लिए नॉमिनी नियुक्त करना काफी जरूरी है। आप एक से अधिक नॉमिनी चुनकर यह भी तय कर सकते हैं कि ग्रेच्युटी का रकम का बंटवारा कैसे होगा।

ग्रेच्युटी नॉमिनी कैसे चुनते हैं?

सभी कर्मचारियों को अपना नॉमिनी चुनने का अधिकार है। आप फॉर्म एफ का इस्तेमाल करके अपना नॉमिनी चुन सकते हैं। इसे आपको अपनी कंपनी के पास जमा करना होता है। आप एक या इससे अधिक लोगों को भी नॉमिनी बना सकते हैं। नॉमिनी को आप मनमुताबिक बदल भी सकते हैं।

नॉमिनी किसे बनाया जा सकता है?

ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत आप मुख्य तौर पर पारिवारिक सदस्यों को ही नॉमिनी बना सकते हैं। इनमें पत्नी, बच्चे, आश्रित माता-पिता, आश्रित सास-ससुर, बेटे की विधवा और उसके बच्चे शामिल होते हैं। आप परिवार के एक से अधिक सदस्यों को भी नॉमिनी बना सकते हैं।

नॉमिनी न होने की स्थिति में क्या होगा?

अगर कर्मचारी ने किसी को नॉमिनी नहीं बनाया है, तो उसकी मृत्यु की स्थिति में ग्रेच्युटी के पैसे उसके कानूनी वारिस को दे दिए जाएंगे। हालांकि, इसमें वक्त लग सकता है और कानूनी अड़चन भी हो सकती है। उत्तराधिकारी को वाजिब कानूनी दस्तावेज भी पेश करने पड़ सकते हैं।

नॉमिनी नियुक्त करने का प्रोसेस

आप अपनी कंपनी के एचआर डिपार्टमेंट से फॉर्म एफ लें। इसमें कुछ जानकारियां देनी होती हैं। जैसे कि नॉमिनी का नाम और उससे रिश्ता। अगर एक से अधिक नॉमिनी है, तो किसको कितना हिस्सा मिलना है। फिर आपको गवाह के साथ अपने हस्ताक्षर करके एचआर डिपॉर्टमेंट या नामित अधिकारी के पास जमा करना होगा।

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