पीएम आवास योजना के लिए 25 राज्यों का केंद्र के साथ समझौता
शहरी क्षेत्रों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना पर राज्यों ने अच्छा उत्साह दिखाया है। योजना के क्रियान्वयन के लिए केंद्र सरकार के साथ सहमति पत्र पर 25 से अधिक राज्यों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसके पहले सरकार 147 बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी इससे जोड़ चुकी है। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने पीएम आवास योजना के क्रियान्वयन के तौर-तरीकों को स्पष्ट करने के लिए अब तक दो राष्ट्रीय कार्यशालाएं आयोजित की हैं, जिसमें सभी राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इसी दौरान राज्यों ने एमओयू पर हस्ताक्षर भी किए। यह इसलिए अहम है, क्योंकि इस बार एमओयू में लाभार्थियों के चयन में पारदर्शिता के लिए मानक कड़े किए गए हैं। इसके अलावा राज्यों से यह अपेक्षा की गई है कि वे अनिवार्य रूप से किफायती आवासों के लिए एक नीति बनाएं। शहरी भारत के एक करोड़ लोगों को पक्के घर उपलब्ध कराने के लिए पीएम आवास योजना 2.0 का शुरुआत की गई है। यह घर अगले पांच साल में बनने हैं और इन पर करीब दस लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे।
मंत्रालय राज्यों के साथ एमओयू के बाद लाभार्थियों के चयन की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार योजना की शुरुआत में ही लगभग सभी राज्यों का इसके लिए आगे आना बड़ी बात है। दिसंबर से लाभार्थियों के चयन की प्रक्रिया की शुरुआत होगी। इसके लिए राज्यों को अपने-अपने स्तर पर मानक तय करना है और इसी के अनुरूप वे अपनी मांग सामने रखेंगे।
18 से 20 लाख घरों का आवंटन
सूत्रों के अनुसार पहले साल 18 से 20 लाख घरों का आवंटन हो सकता है। इस योजना को रोजगार सृजन के नजरिये से भी काफी अहम माना जा रहा है। घरों के निर्माण में तीन करोड़ से अधिक रोजगार सृजन होने की उम्मीद की जा रही है। केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने कार्यशाला में कहा कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए जवाबदेही और जिम्मेदारी की जरूरत है, इसमें कमी नहीं होनी चाहिए।
मनोहर लाल ने कहा कि इस योजना के तहत किफायती किराये के आवासों का जिक्र करते हुए कहा कि कामकाजी महिलाओं और औद्योगिक श्रमिकों को पर्याप्त किफायती किराये के आवास उपलब्ध कराने के लिए पहली बार एक आवास योजना में अलग वर्टिकल के रूप में पेश किया गया है।
मंत्रालय में हाउसिंग फॉर आल के संयुक्त सचिव और मिशन डायरेक्टर कुलदीप नारायण ने कहा कि पीएम आवास योजना के पहले चरण से बहुत कुछ सीखने के बाद इस योजना का दूसरा चरण आरंभ किया गया है। सुधारों के लिए राज्यों के पास कई विकल्प हैं। हर राज्य के पास किफायती आवास नीति होना जरूरी है।