शेयर बाजार इनवेस्टर्स के लिए बड़ी खबर, SME IPO पर दांव लगाना होगा मुश्किल
मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज (SME) के लिस्टिंग नियमों को सख्त बनाने की तैयारी की है। इसके तहत सेबी ने एसएमई लिस्टिंग के फ्रेमवर्क की समीक्षा करने के लिए कंसल्टेशन पेपर जारी किया है। इसमें कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव शामिल हैं, जैसे कि न्यूनतम आवेदन राशि को दोगुना करके 2 लाख रुपए करना और एसएमई आईपीओ के लिए कुछ नियमों को मुख्य बोर्ड के नियमों के अनुरूप बनाना। यह कदम एसएमई प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग से संबंधित मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर उठाया गया है।
नियमों में बदलाव से बढ़ेगा चेक एंड बैलेंस
सेबी के प्रस्ताव के अनुसार, एसएमई आईपीओ के लिए कुछ अन्य बदलाव भी किए जा सकते हैं। इनमें ऑफर फार सेल (OFS) की सीमा को 20% तक सीमित करना, आईपीओ से जुटाई गई रकम का उचित इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए निगरानी एजेंसियों की नियुक्ति अनिवार्य करना और आवंटियों की न्यूनतम संख्या को बढ़ाकर 200 करना शामिल है।
नए प्रस्तावों में क्या शामिल है?
एसएमई आईपीओ के लिए न्यूनतम आवेदन राशि को 2 लाख रुपए करने का प्रस्ताव।
आईपीओ के जरिए जुटाई गई रकम का सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए निगरानी एजेंसियों की नियुक्ति।
एसएमई आईपीओ के सफल होने के लिए आवंटियों की संख्या को मौजूदा 50 से बढ़ाकर 200 करने पर विचार।
प्रमोटर कंट्रीब्यूशन (MPC) पर लॉक-इन पीरियड को 5 साल तक बढ़ाने और अधिक प्रमोटरों की होल्डिंग पर लॉक-इन को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का प्रस्ताव।
पात्रता शर्तों के तहत, न्यूनतम इश्यू साइज को बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए करना और संबंधित एसएमई का ऑपरेटिंग प्रॉफिट तीन साल में से दो में कम से कम 3 करोड़ रुपए रखना।
बड़े बदलावों की संभावना
साथ ही, सेबी ने कुछ शर्तों को पूरा करने पर एसएमई को मेनबोर्ड में माइग्रेट करने की अनुमति देने का प्रस्ताव भी रखा है। इसका उद्देश्य एसएमई प्लेटफॉर्म पर निवेशकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
विशेषज्ञों की राय
सीएस फर्म MMJC के फाउंडर मकरंद एम जोशी के अनुसार, सेबी के नए प्रस्तावों से एसएमई सेगमेंट में बेहतर चेक एंड बैलेंस स्थापित होंगे, जिससे अवांछित ट्रेड प्रैक्टिस और हेरफेर को रोका जा सकेगा। हालांकि, इससे एसएमई के लिए कम्प्लायंस लागत में वृद्धि हो सकती है, लेकिन यह निवेशकों के हित में रहेगा। इससे पहले दिसंबर 2023 में सेबी ने एसएमई सेगमेंट पर निगरानी बढ़ाने के लिए अतिरिक्त सर्विलांस उपाय लागू किए थे।