कहानी फिल्मी लेकिन है हकीकत… अंतिम संस्कार के कुछ दिनों बाद बेटा वापस लौट आया!
गुजरात के मेहसाणा जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे देश को चौंका दिया. अहमदाबाद के नरोदा इलाके की इस घटना ने लोगों को ऐसा सोचने पर मजबूर कर दिया मानो यह किसी फिल्म की कहानी हो. एक महीने से लापता युवक का शव मिलने पर परिवार ने उसे अपने बेटे का शव समझकर अंतिम संस्कार कर दिया. लेकिन जब बेटे की गद्दी रखी गई, तो वही बेटा जीवित वापस घर आ गया. यह मामला अब गहराई से जांच का विषय बन चुका है, क्योंकि अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि जिसका अंतिम संस्कार किया गया, वह शख्स कौन था.
आर्थिक संकट और बेटे का घर छोड़ना
मूल रूप से बीजापुर के रहने वाले और नरोदा के हंसपुरा इलाके में शिवम रेजीडेंसी में बसे एक बढ़ई परिवार के बेटे ब्रिजेश ने आर्थिक तंगी के कारण 26 अक्टूबर को अपनी मां से 3000 रुपये लेकर घर छोड़ा. उसने कहा था कि वह काम पर जा रहा है, लेकिन फिर वापस नहीं लौटा. परेशान मां ने उसे फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. जब ब्रिजेश का कोई सुराग नहीं मिला, तो परिवार ने नरोदा पुलिस स्टेशन में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई.
शव की पहचान और अंतिम संस्कार
4 नवंबर की सुबह साबरमती नदी में एक अज्ञात युवक का शव मिला. पुलिस ने 10 नवंबर को परिवार को शव की पहचान के लिए बुलाया. परिजनों ने शव को ब्रिजेश समझकर उसकी पहचान की और बीजापुर ले जाकर अंतिम संस्कार कर दिया. परिवार ने सोचा कि उन्होंने अपने बेटे को खो दिया है और उसकी अंतिम रस्में पूरी कर दीं.
ब्रिजेश की वापसी और कहानी का नया मोड़
इस बीच, ब्रिजेश के पास जब पैसे खत्म हो गए, तो उसने एक अजनबी से फोन लेकर अपने दोस्त को कॉल किया. उसने बताया कि वह हरिद्वार जाकर साधु बनना चाहता है और अभी भुज में अपनी मां के साथ रह रहा है. उसने दोस्त से पैसे उधार मांगे, जिससे दोस्त को शक हुआ. दोस्त ने तुरंत यह बात ब्रिजेश के परिवार को बताई. इसके बाद परिवार ने भुज जाकर ब्रिजेश को ढूंढ निकाला. अपने बेटे को जिंदा देखकर परिवार हैरान रह गया और घर में खुशी की लहर दौड़ गई.
रहस्य बना शव का सवाल
हालांकि, इस घटना ने एक बड़ी पहेली खड़ी कर दी है. परिवार ने जिस शव का अंतिम संस्कार किया था, वह व्यक्ति कौन था? यह सवाल अभी भी जवाब मांग रहा है. रिवरफ्रंट वेस्ट पुलिस और नरोदा पुलिस मिलकर इस मामले की गहराई से जांच कर रही हैं.