दिल्ली : सुरक्षा के दावे बेकार, तिहाड़ में पहुंच रहा है नशीला पदार्थ
तमाम सुरक्षा दावों के बावजूद तिहाड़ जेल के भीतर चरस, गांजा, मोबाइल, अफीम, बीड़ी-सिगरेट पहुंच रहे हैं। कैदी किसी न किसी तरीके से जेल में इन पदार्थों को लाने में कामयाब हो रहे हैं। जेल अफसरों का कहना है कि तलाशी अभियान के दौरान कैदियों से मिलने वाले हथियार और मोबाइल फोन का आंकड़ा जेल प्रशासन के पास मौजूद है। कैदियों के पास से मिलने वाले मादक द्रव्य को तत्काल नष्ट कर दिया जाता है।
जेल सूत्रों का कहना है कि पेशी पर जेल से बाहर से आने वाले कैदी अक्सर मादक पदार्थों को छिपाकर जेल के भीतर लाते हैं। जेल में अंदर प्रवेश करने के दौरान सभी की तलाशी ली जाती है। लेकिन कर्मियों से मिलीभगत या फिर सुरक्षा कर्मियों को झांसा देकर कैदी मादक पदार्थ को सेल के भीतर ले जाने में कामयाब हो जाते हैं। बताया जा रहा है कि आमतौर पर कैदी इन चीजों को अपने मुंह या फिर निजी अंगों में छिपाकर जेल के भीतर ले जाते हैं। सेल के अंदर पहुंचने के बाद कैदी इन चीजों को अन्य कैदियों को भी मुहैया करते हैं, जिसके एवज में उनसे मोटी रकम वसूलते हैं। इसके साथ ही कैदियों से मिलने आने वाले परिवार के लोग भी उन्हें नशीला पदार्थ मुहैया करवाते हैं।
जेल सूत्रों के मुताबिक, पिछले साल जेल कर्मियों ने कैदी से मिलने आई एक महिला को पुलिस के हवाले किया था। महिला कैदी को लोअर देने के बहाने उसमें ड्रग्स छिपाकर लाई थी। शक होने पर सुरक्षा कर्मियों ने सिलाई हटाकर उसमें से ड्रग्स की बरामदगी की थी। इसी तरह जेल और सुरक्षा कर्मियों की मिलीभगत की बात भी कई बार सामने आई हैं और उनपर कार्रवाई भी हुई है। जेल सूत्रों का कहना है कि जेल में कैदी मोबाइल फोन ले जाने में कामयाब हो जाते हैं। ऐसे में जेल कर्मियों की मिलीभगत या फिर अन्य तरीकों से वह नशीले पदार्थों को भी जेल के भीतर ले जा रहे हैं। ——–
250 मोबाइल जब्त हो चुके हैं अक्तूबर माह तक
हाल के आंकड़ों के मुताबिक, जेल प्रशासन अक्तूबर माह तक कैदियों से करीब ढ़ाई सौ मोबाइल फोन जब्त कर चुका है। जेल सूत्रों का कहना है कि कुछ जेलों पर प्रशासन की भी नजर रहती है। इनमें जेल नंबर तीन और आठ-नौ नंबर जेल शामिल है। तीन नंबर जेल में क्षमता से तीन गुना कैदी बंद हैं, वहीं आठ-नौ नंबर जेल क्षमता से दोगुने कैदी बंद हैं। भीड़ होने की वजह से इन जेलों में रहने वाले कैदियों पर निगरानी नहीं हो पाती है। इन जेलों से ही प्रशासन प्रतिबंधित सामानों की बरामदगी करता है।
स्क्रीनिंग मशीन भी नहीं रोक पा रही प्रतिबंधित सामान
जेल में प्रतिबंधित सामान को लाने से रोकने के लिए जेल प्रशासन ने कई उपाय किए हैं। जेल के प्रवेश गेट पर स्क्रीनिंग मशीन लगाई गई है। जिससे बाहर से आने वाले कैदियों की तलाशी ली जा सके। इसके बावजूद जेल में प्रतिबंधित सामान के आने पर कैदियों की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए करीब 8 हजार सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए। इस दौरान पता चला कि कैदियों के परिचित जेल के दीवार के बाहर से बॉल के जरिए जेल परिसर में प्रतिबंधित सामान को फेंक रहे हैं। उसके बाद जेल प्रशासन ने ऐसे जेल परिसरों में जाल लगा दिया। जिससे सामान जाल के ऊपर ही गिर जाता है।
नशे की लत से मुक्ति दिलाने की कोशिश
जेल परिसर में कैदियों को नशे की लत से मुक्ति के लिए जेल प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है। तिहाड़ के जेल संख्या तीन में नशा मुक्ति केंद्र कार्य कर रहा है। जेल में आने वाले कैदियों की काउंसलिंग की जाती है। इस दौरान पता चलता है कि कैदी में नशे का लत है। उसके बाद ऐसे कैदियों को इन केंद्रों में लाया जाता है, जहां उनका स्वास्थ्य जांच करने के बाद उसका उपचार किया जाता है। इसके साथ साथ काउंसलर लगातार कैदियों को जागरूक करते हैं।