WhatsApp लाया मैसेज ड्राफ्ट फीचर, चैटिंग एक्सपीरियंस पहले से हो जाएगा और भी मजेदार!
पॉपुलर इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म WhatsApp ने iOS और एंड्रॉइड यूजर्स के लिए एक नए फीचर की पेशकश की है। कंपनी यूजर्स के चैटिंग एक्सपीरियंस को बेहतर करने के लिए ‘मैसेज ड्राफ्ट’ फीचर लेकर आई है, जिससे यूजर्स को बिना भेजे गए मैसेज को आसानी से मैनेज करने में मदद मिलेगी।
यह फीचर मेन चैट लिस्ट में अधूरे मैसेज पर हरे रंग का ‘ड्राफ्ट’ लेबल दिखाता है, जिससे यूजर को अधूरे टेक्स्ट को जल्दी से ढूंढ़ने में मदद मिलती है। बीच में छोड़ा गया मैसेज चैट लिस्ट में सबसे ऊपर दिखाई देता है। जिससे बातचीत को जारी रखना आसान हो जाता है।
‘मैसेज ड्राफ्ट’ फीचर कैसे काम करता है?
नया ड्राफ्ट इंडिकेटर अधूरे मैसेज पर अपने आप दिखाई देता है, जिससे यूजर समय बचा सकते हैं। वॉट्सऐप ने कहा कि यह फीचर यूजर्स के लिए धीरे-धीरे रोलआउट किया जा रहा है। मेटा के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग ने नए फीचर को पेश किया है, उन्होंने इसे अपने WhatsApp चैनल को बेहतर बनाने के लिए जरूरी बताया है। यूजर ने आखिरी चैट जिस कॉन्टैक्ट पर छोड़ी होती है, वह आसानी से मिल जाती है, जबकि पहले उसके लिए नीचे स्क्रॉल करके ढूंढ़ना होता था।
यह फीचर भी एकदम लेटेस्ट
वॉट्सऐप ने कुछ दिन कस्टम फीचर भी शुरू किया है। यह यूजर्स को अपने फेवरेट कॉन्टैक्ट की एक अलग से लिस्ट बनाने की परमिशन देता है। जिसकी वजह से एक साथ सारे पसंदीदा कॉन्टैक्ट खोजने में मुश्किल नहीं होती है, वह सारे एक ही जगह मिल जाते हैं।
भारत में सबसे ज्यादा एक्टिव यूजर
भारत वॉट्सऐप का सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है, इसके देश में 500 मिलियन से ज्यादा एक्टिव यूजर हैं। WhatsApp ने सिक्योरिटी और इंटीग्रिटी को सुनिश्चित करने के लिए 2024 में 65 मिलियन से अधिक अकाउंट बैन किए हैं, जनवरी से सितंबर के बीच अकेले भारत में 12 मिलियन अकाउंट हटा दिए हैं। कंपनी यूजर्स के एक्सपीरियंस को बेहतर करने के लिए नए-नए फीचर भी रोलआउट करती रहती है।
यह मामला भी चर्चा में…
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (14 नवंबर) को वॉट्सऐप की प्राइवेसी, इंटीग्रिटी और सिक्योरिटी को लेकर चिंता जताने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया है। याचिका में केंद्र सरकार से मैसेजिंग सर्विस प्लेटफॉर्म को बैन करने की मांग की गई थी।
इसमें आरोप लगाया गया कि वॉट्सऐप भारत के IT नियमों के अनुसार काम नहीं करता है। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस एमएम सुंदरेश और अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि वह दायर याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है।