एमपी: बादल भोई नवनिर्मित संग्रहालय का आज पीएम मोदी करेंगे वर्चुअल लोकार्पण
छिंदवाड़ा में आज शुक्रवार को बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजाति गौरव दिवस एवं श्री बादल भोई नवनिर्मित संग्रहालय का सुबह 10:30 बजे दशहरा मैदान (पोलाग्राउंड) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्चुअल लोकार्पण किया जाएगा। इस लोकार्पण कार्यक्रम में सांसद बंटी विवेक साहू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। श्री बादल भोई राज आदिवासी संग्रहालय का विस्तार करते हुए इसे अब जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को समर्पित किया गया है। संग्रहालय में स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाले जनजातीय नायकों की भूमिकाओं को प्रदर्शित किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विभिन्न प्रदेशों में जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को समर्पित संग्रहालयों के निर्माण की घोषणा की गई थी। इसी के तहत छिंदवाड़ा स्थित बादल भोई जनजाति संग्रहालय में उपलब्ध 8.5 एकड़ भूमि पर 40.69 करोड़ रुपये की लागत से लोक निर्माण विभाग द्वारा भवन निर्माण तथा वन्या जनजाति कार्य विभाग द्वारा क्यूरेशन का कार्य किया गया। यह स्थल आसपास के कई दर्शनीय स्थलों और जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों के लिए भी प्रसिद्ध है।
आदिवासी संस्कृति की झलक
इस करोड़ों की लागत से बने बादल भोई जनजाति संग्रहालय में आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। यहां छिंदवाड़ा की आदिवासी परंपरा से जुड़ी शिल्पकारी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जानकारी भी प्रदर्शित की जाएगी।
संग्रहालय की विशेषताएं
गैलरी 1 (रानी दुर्गावती को समर्पित): यह गैलरी रानी दुर्गावती के संघर्ष, उनकी वीरता और महान विरासत को प्रदर्शित करती है। इसमें उनके शासनकाल, जनजातीय समाज में उनके योगदान और बाहरी आक्रमणकारियों के खिलाफ उनके संघर्ष को दर्शाया गया है।
गैलरी 2 (गोंड राजाओं का संघर्ष): इसमें ब्रिटिश शासनकाल में गोंड राजाओं द्वारा स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए किए गए संघर्ष को दर्शाया गया है। यह उनकी स्वतंत्रता की इच्छा और ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ लड़ाई को रेखांकित करती है।
गैलरी 3 (जंगल सत्याग्रह): 1927 के इंडियन फॉरेस्ट एक्ट के विरोध में जनजातीय समाज द्वारा किए गए संघर्ष को ‘जंगल सत्याग्रह’ के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसमें जंगलों पर अधिकार और वन संसाधनों के उपयोग के लिए जनजातीय समाज के आंदोलन को प्रदर्शित किया गया है।
गैलरी 4 (भील-भिलाला जनजाति का संघर्ष): चौथी गैलरी भील-भिलाला जनजाति के वीर सेनानियों को समर्पित है, जिन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ गोरिल्ला युद्ध का इस्तेमाल किया। इसमें भीमा नायक, खाज्या नायक और टंट्या भील जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की गाथाओं को दर्शाया गया है।
गैलरी 5 और 6 (कला एवं प्रदर्शनी): गैलरी पांच और छह को पेंटिंग और फोटो एग्जीबिशन के लिए आरक्षित किया गया है। यहां समय-समय पर प्रदर्शनी लगाई जाएगी, जिससे जनजातीय इतिहास, संस्कृति और योगदान को जीवंत रखा जा सके।
संग्रहालय की संरचना और थीम वन्य विभाग और जनजातीय कार्य विभाग द्वारा तैयार की गई है। इसका उद्देश्य जनजातीय समाज की गौरवशाली विरासत और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना है।