यूपी: टैक्स कलेक्शन मामले में आबकारी विभाग हुआ पीछे
प्रदेश में फ्लैट, मकान और भूखंड खरीदने वालों की संख्या भी बढ़ी है और जमीन की कीमतें भीं। इसी का परिणाम है कि राजस्व वृद्धि के मामले में स्टांप विभाग राज्य कर और आबकारी से आगे निकल गया है। पिछले साल दिवाली सीजन की तुलना में इस साल जहां स्टांप विभाग ने करीब 850 करोड़ का ज्यादा राजस्व दिया, वहीं आबकारी में ये वृद्धि 400 करोड़ पर ही सिमट गई। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष स्टेट जीएसटी में भी 413 करोड़ की वृद्धि हुई है।
उत्तर प्रदेश में रीयल इस्टेट सेक्टर में ग्रोथ, जमीनों पर बढ़ते निवेश और योगी सरकार की योजनाओं ने स्टांप और पंजीयन के राजस्व में अभूतपूर्व ग्रोथ दर्ज की है। आमतौर पर त्योहारी सीजन में शराब की बिक्री ज्यादा होती है, जिसका असर टैक्स कलेक्शन में पड़ता है। खरीदारी ज्यादा होने से जीएसटी ज्यादा मिलता है। वित्त विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक पहली बार अक्तूबर यानी दिवाली सीजन में राजस्व ग्रोथ के मामले में स्टांप विभाग नंबर वन रहा है। इसमें गिफ्ट डीड, रक्त संबंधों में पांच हजार में रजिस्ट्री जैसी आम लोगों से सीधी जुड़ी योजनाओं का भी असर है।
इसके अलावा जमीनों की खरीद बिक्री केवल एनसीआर और बड़े शहरों तक सीमित नहीं रह गई है। एक तरफ औद्योगिक योजनाओं की वजह से लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, मेरठ प्रयागराज, आगरा, अलीगढ़, गोरखपुर में रीयल इस्टेट बढ़ा है तो दूसरी तरफ छोटे जिलों में भी जमीनों की कीमतें बढ़ी हैं।
केवल दो माह में नंबर वन हुआ स्टांप विभाग
अगस्त की समीक्षा में पिछले साल की तुलना में जीएसटी ने लगभग 800 करोड़ की ग्रोथ हासिल की थी। आबकारी ने भी 600 करोड़ ज्यादा राजस्व अर्जित किया था। स्टांप में ये ग्रोथ करीब 50 करोड़ रुपये थी लेकिन रीयल इस्टेट में विस्तार और स्टांप योजनाओं में दिए गए लाभ का असर अक्तूबर में एकाएक दिखाई दिया। त्योहारी सीजन आते ही पिछले दिवाली सीजन के मुकाबले इस बार स्टांप व निबन्धन ने 2890 करोड़ रुपए कमाए। जबकि गत वर्ष इसी महीने 2026 करोड़ का राजस्व मिला था। इस प्रकार स्टाम्प व निबंधन मद में पिछले अक्तूबर की तुलना में इस बार 864 रुपये ज्यादा मिले। वहीं इसी अवधि में जीएसटी जैसे सबसे बड़े विभाग ने महज 413 करोड़ की ग्रोथ हासिल की। आबकारी भी 3326 करोड़ से 3767 करोड़ रुपये की ग्रोथ दर्ज कर सका। इस वित्त वर्ष में स्टाम्प व निबंधन को 35651 करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया गया है। अभी तक 17723 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं। टारगेट की तुलना में सालाना ग्रोथ के लिहाज से भी विभाग सबसे आगे है।