महाराष्ट्र : जरांगे का विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार; महायुति के लिए कठिन हुई लड़ाई
मराठा आरक्षण के लिए आंदोलनरत मनोज जरांगे पाटिल ने यूटर्न ले लिया है। उन्होंने कहा कि वह विधानसभा चुनाव में किसी भी उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे और उन्होंने नामांकन पत्र दाखिल करने वाले अपने समर्थकों से अपना नाम वापस लेने को कहा। उन्होंने कहा कि एक समाज के बल पर हम चुनाव नहीं जीत सकते हैं। जरांगे के यूटर्न से सत्तारूढ़ महायुति के लिए लड़ाई कठिन हो सकती है। वहीं तीसरा गठबंधन नहीं बनने की संभावना से विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (एमवीए) ने राहत की सांस ली है।
जरांगे ने जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में अपने समर्थकों के समक्ष चुनाव में उम्मीदवार न उतारने का निर्णय लिया और कहा कि मराठा समाज खुद तय करेगा कि उन्हें किसका समर्थन करना है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में जो 400 पार का नारा दे रहे थे, उनका क्या हुआ आपने देखा है। मराठा समुदाय को अपनी लाइन समझ लेनी चाहिए। महाराष्ट्र की सियासी नस को समझने वाले मनोज जरांगे के इस बयान के मायने निकालने लगे हैं। हालांकि जरांगे ने कहा है कि उन्होंने किसी पार्टी या नेता का समर्थन नहीं किया है। हमने दलित और मुस्लिम समुदाय से उम्मीदवारों की सूची मांगी थी लेकिन नहीं मिल पाई। इसलिए फैसला किया है कि हम चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। उन्होंने कहा कि यह फैसला किसी के दबाव में नहीं लिया गया है। एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने मनोज जरांगे का सही समय पर बेहतर निर्णय करार दिया है।
मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र में एमवीए को मिला खुला मैदान
जरांगे के यूटर्न से मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के प्रत्याशियों को अब खुला मैदान मिल गया है। जहां वे आसान पारी खेल सकते हैं। मराठवाड़ा में 46 तो पश्चिम महाराष्ट्र में 70 विधानसभा सीटें हैं। जरांगे के उम्मीदवारों के मैदान में होने से मराठा, दलित और मुस्लिम वोटों में बंटवारा हो सकता था, जिसका सीधा लाभ भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति को मिलता लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा।