ये है चीन का श्रवण कुमार! घर-गाड़ी सब बेच दी, मां की ‘मुस्कान’ के लिए पीठ पर लादे घुमा रहा है दुनिया

हर इंसान की ख्वाहिश होती है कि उसके बच्चे इतने काबिल बनें कि वो सिर्फ अपना ही नहीं माता-पिता का भी ध्यान रख सकें. हालांकि हर कोई इतना लायक नहीं होता, जितना चीन का एक बेटा है. आमतौर पर चलने-फिरने में नाकाबिल हो चुके माता-पिता का लोग ख्याल तो रखते हैं, लेकिन जो इस बेटे ने कर दिखाया, वो शायद ही आपने कभी सुना होगा.

बचपन में आपने मां को अपने बच्चे को कांधे या पीठ पर बिठाकर घुमाते-टहलाते हुए बहुत बार देखा होगा. इस वक्त चीन का एक बेटा अपनी मां को इसी तरह पीठ पर लादकर दुनिया घुमा रहा है. आपने श्रवण कुमार की कहानी तो ज़रूर सुनी होगी, जिन्होंने अपने अंधे माता-पिता को तीर्थ कराने के लिए उन्हें टोकरी में बिठाकर कंधे पर उठाया था. इस बेटे को आप चीन का श्रवण कुमार कह सकते हैं.

एक्सीडेंट ने उजाड़ा हंसता-खेलता परिवार
32 साल के शाओ मा नाम के शख्स के माता-पिता का एक्सीडेंट तब हो गया था, जब वो महज 8 साल के थे. इस एक्सीडेंट में उनके पिता तो नहीं रहे लेकिन मां बच गईं. हालांकि मां की हालत ये थी कि वो हिल भी नहीं पाती थीं. ऐसे में शाओ मा की बड़ी बहन और वो मिलकर अपना भी ख्याल रखते थे और मां का भी. बड़े होकर शाओ मा ने खेतों में कपास बीनने का काम शुरू किया और बचाए गए पैसों से एक छोटा सा रेस्टोरेंट खोला. उनकी ज्यादातर कमाई मां के इलाज में ही जाती रही लेकिन गनीमत ये रही कि उनकी मां धीरे-धीरे व्हीलचेयर पर बैठने लगीं और छोटे-छोटे कदम भी रखने लगी.

मां के लिए बेटा बना ‘श्रवण कुमार’
इसी बीच शाओ को पता चला कि उनकी मां को सेरेब्रल एट्रोफी की जो बीमारी है, वो ठीक नहीं हो सकती और ये बिगड़ती ही जा रही है. जब उन्हें लगा कि वो मां को बचा नहीं पाएंगे, तो उन्होंने उन्हें जीतेजी सारी खुशी देने का फैसला किया. शाओ मा ने अपना घर-गाड़ी सब बेच दी और मां को लेकर चीन के पर्यटन स्थलों पर घुमाने लगे. इस दौरान वो उन्हें अपनी पीठ पर लादकर अलग-अलग जगहों पर ले जाते हैं. चूंकि शाओ की मां का दिमाग छोटे बच्चे की तरह है, ऐसे में वो इन जगहों पर जाकर खूब खुश होती हैं. सोशल मीडिया पर शाओ के इस काम को लोग खूब सराहते हैं और उनके जैसा बेटा होने की कामना करते हैं.

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