रूस द्वारा सूरजमुखी तेल पर निर्यात शुल्क बढ़ाने से भारत में कीमतों पर पड़ सकता है असर
रूस के सूरजमुखी तेल पर निर्यात शुल्क 30 डॉलर प्रति टन बढ़ाने के फैसले के बाद देश में खाद्यतेलों का आयात प्रभावित होने की आशंका के बीच अधिकांश तेल-तिलहनों (सरसों एवं मूंगफली, सीपीओ एवं पामोलीन) के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। जबकि सोयाबीन तेल-तिलहन और बिनौला तेल के दाम में मजबूती आई। बाजार सूत्रों ने बताया कि रूस ने गुरुवार को सूरजमुखी तेल के निर्यात शुल्क में 30 डॉलर प्रति टन की वृद्धि की है। सोयाबीन के मुकाबले सूरजमुखी तेल का आयात शुल्क मूल्य अब अधिक बैठने की वजह से आगे सूरजमुखी तेल का आयात और प्रभावित हो सकता है। उल्लेखनीय है कि सूरजमुखी तेल का आयात शुल्क मूल्य मौजूदा आयात भाव के हिसाब से तय होने के कारण यह सोयाबीन से और मंहगा बैठेगा।
पूर्वस्तर पर बने रहे भाव
सूरजमुखी का आयात प्रभावित होगा तो इसका असर बाकी तेल-तिलहनों की कीमतों पर भी आएगा। मलेशिया एक्सचेंज दोपहर 3.30 बजे गिरावट के साथ बंद हुआ। शिकागो एक्सचेंज में कल रात मजबूती रही थी और फिलहाल यहां घट बढ़ चल रही है। सूत्रों ने कहा कि विदेशों में तेजी रहने के बावजूद यहां सहकारी संस्था, नाफेड की बिकवाली से सरसों तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर रहे। मूंगफली की आवक बढ़ने के बीच पहले से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर बिकने वाले मूंगफली को किसान और नीचे भाव पर बेचने को राजी नहीं हैं और इस वजह से मूंगफली तेल-तिलहन भी पूर्वस्तर पर बंद हुआ।
सोयाबीन में आई मजबूती
मलेशिया में बाजार घटने के बावजूद स्थानीय स्तर पर इसका अधिक असर नहीं दिखा जिसकी वजह से कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के भाव भी पूर्वस्तर पर बने रहे। उन्होंने कहा कि सूरजमुखी के निर्यात शुल्क में वृद्धि के फैसले के बाद इसका आयात प्रभावित होने की आशंका से सोयाबीन के दाम में मजबूती आई जिससे सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम में सुधार है। कल रात शिकागो एक्सचेंज के मजबूत बंद होने की भी वजह से भी यह तेजी है। दूसरी ओर मिलावटी बिनौला खल का कारोबार जारी रहने के बीच बिनौला तेल मिलें कम चल रही हैं और देश में नमकीन बनाने वाली कंपनियों की मांग होने के कारण बिनौला तेल कीमतों में भी सुधार है। सूत्रों ने कहा कि जिस तरह रूस ने सूरजमुखी तेल के निर्यात शुल्क में वृद्धि की है वह इस बात का सूचक है कि देश के लिए अहम वस्तु की आपूर्ति के लिए विदेशों पर निर्भरता खतरनाक साबित हो सकती है और इसे देखते हुए देश को अपना तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने की ओर ध्यान केन्द्रित करना होगा।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 6,500-6,550 रुपए प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,350-6,625 रुपए प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,100 रुपए प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,270-2,570 रुपए प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,550 रुपए प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,165-2,265 रुपए प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,165-2,290 रुपए प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपए प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,625 रुपए प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,125 रुपए प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,025 रुपए प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 12,350 रुपए प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,600 रुपए प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,800 रुपए प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 12,750 रुपए (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,760-4,810 रुपए प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,460-4,695 रुपए प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,200 रुपए प्रति क्विंटल।