दुर्लभ इंद्र योग समेत बन रहे हैं ये 3 अद्भुत संयोग
हर साल कार्तिक महीने में रमा एकादशी मनाई जाती है। इस शुभ तिथि पर जग के नाथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि रमा एकादशी व्रत करने से साधक को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, भगवान विष्णु की कृपा साधक पर बरसती है। उनकी कृपा से साधक को मृत्यु उपरांत बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो रमा एकादशी पर इंद्र योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
कब है रमा एकादशी (Rama Ekadashi Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष के एकादशी तिथि 27 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी और 28 अक्टूबर को प्रातः काल 7 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। वैष्णव समाज के अनुयायी 28 अक्टूबर को रमा एकादशी मनाएंगे। स्थानीय पंचांग के अनुसार तिथि में अंतर हो सकता है। इसके लिए स्थानीय ज्योतिष से अवश्य सलाह लें।
शुभ योग (Rama Ekadashi Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो रमा एकादशी पर सबसे पहले ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है।ब्र ह्म योग का समापन प्रातः काल 6 बजकर 48 मिनट पर होगा। इसके बाद इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इंद्र योग का समापन 29 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 49 मिनट पर होगा। ज्योतिष ब्रह्म और इंद्र योग को बेहद शुभ मानते हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को दुर्लभ शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इस दिन भगवान शिव सुबह 7 बजकर 50 मिनट तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद नंदी की सवारी करेंगे। ज्योतिषियों का मत है भगवान शिव के कैलाश पर विराजमान होने या नंदी की सवारी करने के दौरान अभिषेक करने से जातक को हर कार्य में सफलता मिलती है।