बरेली में जन्मा विचित्र बच्चा, अगले ही दिन मौत; डेढ़ वर्ष में इस तरह के तीन मामले
बरेली के शीशगढ़ कस्बे के एक निजी अस्पताल में 19 अक्तूबर को कस्बे की महिला ने दुर्लभ आनुवांशिक विकार (हार्लेक्विन इक्थियोसिस) से ग्रसित बच्चे को जन्म दिया। सामान्य प्रसव से जन्मे बच्चे की अगले दिन शाम को दिल्ली में इलाज के दौरान मौत हो गई।
बच्चे के पिता ने बताया कि पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर वह उसे कस्बे के निजी अस्पताल ले गए थे। 19 अक्तूबर को सुबह नौ बजे पत्नी ने एक विचित्र बच्चे को जन्म दिया। उसकी आंखें बड़ी-बड़ी थीं। शरीर पूरी तरह सफेद था। त्वचा भी जगह-जगह से फटी हुई थी। जन्म से ही मुंह में दांत थे। वह तरह-तरह की आवाजें निकाल रहा था। बच्चे को देखकर परिजन हैरत में पड़ गए।
ऐसे बच्चों का कहते हैं हार्लेक्विन बेबी
डॉक्टर ने बताया कि ऐसे बच्चों को हार्लेक्विन बेबी कहा जाता है। उन्होंने उसे दिल्ली ले जाने की सलाह दी। तुरंत ही परिजन बच्चे को लेकर एम्स दिल्ली के लिए रवाना हो गए। अगले दिन शाम को करीब आठ बजे बच्चे की मौत हो गई। शीशगढ़ लौटकर परिजनों ने बच्चे के शव को दफना दिया। विचित्र बच्चे के जन्म को लेकर कस्बे में तरह-तरह की चर्चाएं होती रहीं।
डेढ़ वर्ष में तीन मामले
जिले में डेढ़ वर्ष में इस तरह के तीन मामले सामने आ चुके हैं। जून 2023 में राजेंद्रनगर स्थित निजी अस्पताल में हार्लेक्विन बेबी का जन्म हुआ था। सितंबर 2023 में बहेड़ी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर इसी तरह का बच्चा जन्मा था।
बीमारी का कारगर इलाज नहीं
डॉक्टरों के मुताबिक यह विकार माता-पिता से नवजात को ऑटोसोमल रिसेसिव पैटर्न से मिलता है, जो जीन के उत्परिवर्तन से होता है। शरीर में प्रोटीन और म्यूकस मेंब्रेन की गैर-मौजूदगी की वजह से बच्चे की ऐसी हालत हो जाती है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कर्मेंद्र ने बताया कि इस बीमारी में बच्चे के शरीर में तेल बनाने वाली ग्रंथियां न होने से त्वचा फटने लगती है। इस तरह के बहुत कम मामले ही सामने आते हैं। अक्सर जन्म के दौरान या कुछ घंटों बाद ही बच्चे की मौत हो जाती है। जो बच जाते हैं, उनके भी ज्यादा दिन तक जीवित रहने की संभावना बेहद कम होती है, क्योंकि इसका कोई कारगर इलाज नहीं है।