कैसा होना चाहिए यम का दीपक? जानें इसकी सही दिशा और जलाने का समय…
नरक चतुर्दशी का दिन बेहद विशेष माना जाता है। इसे यम चतुर्दशी व छोटी दीवाली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग भगवान कुबेर, देवी लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और यम देव, जिन्हें मृत्यु का देवता माना जाता है उनकी पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में इस दिन का अपना धार्मिक महत्व है। वहीं, यह महत्वपूर्ण अवधि में यम का दीपक जलाने का भी विधान है, जो नरक चतुर्दशी की शाम को किया जाता है, तो आइए इसकी विधि और यह कैसा होना चाहिए? उसके बारे में जानते हैं।
ऐसा होना चाहिए यम का दीपक (Yam Deepak Jalane Ki Vidhi)
छोटी दीवाली (Dhanteras Deepdaan Vidhi) के दिन शाम के समय प्रदोष काल में गेहूं के आटे से एक दीपक बनाएं, फिर चार बत्ती तैयार करें और उसे दीपक में रखें और उसमें सरसों का तेल डालें। इसके बाद दीपक के चारों ओर गंगाजल छिड़कें। इसके पश्चात घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में उसे रख दें। दीपक के नीचे कोई अनाज जरूर रखें।
कुक्ष लोग यम का दीपक नाली के पास या अन्य किसी स्थानों पर रखते हैं। दीपक जलाने के बाद पूरे समर्पण, विश्वास और भाव के साथ भगवान से प्रार्थना करें और अपने परिवार की खुशहाली के लिए आशीर्वाद मांगें।
यम दीपक का धार्मिक महत्व (Yam Deepak Importance)
यम का दीपक हिंदुओं के बीच बड़ा धार्मिक महत्व (Yam Deepak Significance) रखता है। यह दिन पूरे देश में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। भगवान यम इस शुभ दिन पर पूजे जाने वाले देवताओं में से एक हैं। इस दिन प्रदोष काल के दौरान लोग चार मुखी दीया जलाते हैं और वह दक्षिण दिशा की ओर रखते हैं, जो यम देव को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग यह चार मुखी दीया जलाते हैं, उन्हें मृत्यु के भय से राहत मिलती है,क्योंकि भगवान यम उनकी रक्षा करते हैं और उन्हें लंबे जीवन और कल्याण का आशीर्वाद देते हैं। इसके अलावा इससे अकाल मृत्यु से भी बचा जा सकता है। बता दें, छोटी दीवाली एकमात्र दिन है, जब लोग मृत्यु के देवता, भगवान यम की पूजा करते हैं।