शव की हड्डियों का सूप बनाकर पीते हैं इस जगह के लोग
दुनिया के कोने-कोने में ऐसे कई आदिवासी समुदाय रहते हैं जो आज भी कुछ ऐसी रस्मों-रिवाजों (Unusual Customs) का पालन करते हैं जो हमारी समझ से परे हैं। इनमें से कुछ समुदायों (Yanomami Tribe) में नरभक्षण जैसी प्रथाएं भी देखने को मिलती हैं। एक और हैरान करने वाली बात यह है कि कुछ आदिवासी कबीले अपने मृत परिजनों की हड्डियों को पीसकर सूप (A Soup Made from Ashes) बनाते हैं और उसे पीते हैं। ये प्रथाएं (Funeral Rituals), भले ही आपको कितनी भी अजीब लगें, लेकिन इन समुदायों के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक या सांस्कृतिक मूल्य रखती हैं।
यानोमानी जनजाति की अजीबोगरीब परंपरा
दक्षिण अमेरिका के घने जंगलों में, खासतौर से उत्तरी ब्राजील और दक्षिणी वेनेजुएला में यानोमानी आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। ये लोग अमेजन वर्षावन के किनारे रहते हुए बेहद अनोखा जीवन जीते हैं। दरअसल, उनकी संस्कृति में कई अजीबोगरीब रीति-रिवाज हैं, जिनमें से एक है अपने परिवार के सदस्यों के निधन पर उनकी हड्डियों का सूप बनाकर पीना।
इस जनजाति के लोग आमतौर पर कपड़े नहीं पहनते हैं और खुले आसमान के नीचे सोते हैं। इनकी जीवनशैली बेहद सरल है और ये लोग शिकार और खेती पर निर्भर रहते हैं। इस जनजाति की रस्में और रिवाज भी बेहद दिलचस्प हैं, जो इनकी गहरी आध्यात्मिक मान्यताओं को दर्शाते हैं।
हड्डियों की राख का बनाते हैं सूप
ये आदिवासी समुदाय अपने परिजनों के निधन के बाद बेहद अनोखे अंतिम संस्कार की रस्म निभाते हैं। इस रस्म में वे मृत व्यक्ति की हड्डियों की राख को एक विशेष तरीके से तैयार करके सूप बनाते हैं और फिर उसे पीते हैं। उनका मानना है कि इस क्रिया से वे मृत आत्मा की रक्षा करते हैं और उसे शांति प्रदान करते हैं। यह समुदाय मृत्यु को आखिरी पड़ाव नहीं, बल्कि एक नए रूप में जीवन की शुरुआत मानता है।
क्यों बनाते हैं शव की राख का सूप?
ये आदिवासी समुदाय मृत्यु को प्राकृतिक कारणों से नहीं, बल्कि विरोधी समुदाय के जादूगरों द्वारा भेजी गई बुरी आत्माओं का हमला मानते हैं। इनका मानना है कि शव को जलाने और उसकी राख पीने से उनके प्रियजनों की आत्माएं पुनर्जीवित हो जाएंगी। ये आदिवासी लगभग 200 से 250 गांवों में फैले हुए हैं और इस अजीबोगरीब परंपरा को पीढ़ी दर पीढ़ी चलाते आ रहे हैं।
आत्मा को शांति देने का अनोखा तरीका
यानोमानी आदिवासी समुदाय अपने मृत परिजनों के शरीर को अंतिम संस्कार की एक अनोखी प्रक्रिया से गुजारते हैं। वे मृत व्यक्ति के शव को पास के जंगल में पत्तों से ढककर लगभग एक महीने तक छोड़ देते हैं। इस अवधि के बाद, वे शव से हड्डियों को निकालकर इन्हें जला देते हैं। हड्डियों को जलाने के बाद मिलने वाली राख को केले के साथ मिलाकर एक खास तरह का सूप बनाया जाता है, जिसे समुदाय के सभी सदस्य मिलकर पीते हैं। यह प्रक्रिया उनके लिए मृत व्यक्ति की आत्मा को सम्मान देने और उसे शांति प्रदान करने का एक तरीका है।