इंदौर: पर्यावरण प्रेमी सड़कों पर उतरे, पड़ों की कटाई के विरोध में प्रदर्शन

इंदौर की मिलों को सिटी फॉरेस्ट घोषित करने के लिए इंदौर के पर्यावरण प्रेमी नागरिक मंच ने आज रीगल तिराहे पर शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान शहर के अलग-अलग वर्गों के लोग इसमें शामिल हुए और सभी ने इस विषय पर एकमत होकर राय दी की इंदौर में सभी मिलों को सिटी फॉरेस्ट घोषित किया जाना चाहिए। शांतिपूर्वक हुए इस प्रदर्शन में अजय लागू, एसएल गर्ग, अरविंद पोरवाल, संदीप खानवलकर, प्रमोद नामदेव, राहुल निहोरे, अशोक दुबे आदि शामिल हुए। सभी ने शांतिपूर्ण हुए इस प्रदर्शन के बाद में रीगल से संभाग आयुक्त तक पैदल जाकर कमिश्नर दीपक सिंह को ज्ञापन दिया और यह निवेदन किया कि शहर की हरियाली को बचाया जाए, पेड़ों की कटाई को बंद किया जाए और शहर की मिलों की हरियाली को सिटी फॉरेस्ट घोषित किया जाए।

कितना प्यारा था हमारा इंदौर
आंदोलन कर रहे सदस्यों ने बताया कि इंदौर शहर एक समय अपनी हरियाली एवं बाग-बगीचों के कारण जाना जाता था। नौलखा क्षेत्र में नौलाख पेड़ थे। शहर के कई क्षेत्र आज भी पेड़ों के नाम से ही जाने जाते हैं, जैसे खजूरी बाजार, इमली बाजार, मोरसली गली, बड़ वाली चौकी, पलासिया, लाल बाग, बियाबानी आदि। आज कई बाग काट दिए गए और कई कटने की राह पर हैं। 

कितनी कम हुई हरियाली
पर्यावरणप्रेमी संदीप खानवलकर ने बताया कि 70 के दशक में शहरी क्षेत्र में 30% हरियाली थी, जो वर्तमान में 9-10% के लगभग है)। वर्ष 2023 में शहर का ग्रीन इंडेक्स भी मात्र 09 बताया गया है। पिछले मास्टर प्लान (2008 से 2021) में हरियाली का विकास 22% तक होना बताया गया था, परन्तु वह भी 9 या 10% पर ही रह गया है।

जनसंख्या के हिसाब से कहां हैं हम
अरविंद पोरवाल ने कहा कि दीर्घजीवी होने के कारण हरियाली में सबसे ज्यादा महत्व पेड़ों का होता है। वर्तमान में शहर में 10 लाख के लगभग पेड़ बताये गये हैं, जबकि पंजीकृत वाहन 31 लाख से ज्यादा एवं जनसंख्या भी 34 लाख से अधिक है।

कितने पेड़ कट रहे
आई. आई. टी., इन्दौर के एक अध्ययन के अनुसार शहर में पिछले पांच वर्षों में विभिन्न निर्माण कार्यों हेतु 1.50 लाख से ज्यादा पेड़ काटे गये। हरियाली घटने, विशेषकर पेड़ कम होने से शहर का तापमान बढ़ रहा है एवं वायु गुणवत्ता में भी इतने प्रयासों के बाद भी अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा है।

भविष्य कितना खतरनाक
ओपी जोशी ने बताया कि  एक आकलन के अनुसार वर्ष 2019 के बाद लू (हीट वेव) के दिन 19 से बढ़कर 25 हो गए एवं मई में 40 डिग्री सें. तापमान के दिन भी 10 से बढ़कर 15 हो गए हैं। मई 2024 में 11 दिन तापमान 40 डिग्री सें. से ऊपर रहा एवं 23 मई को 44.5 डिग्री सें. ऊपर पहुंच गया। कुछ दिनों रात का तापमान भी राजस्थान के जयपुर एवं चुरु से ज्यादा रहा। वायु गुणदत्ता के सुधार हेतु शहर को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम तथा वैश्विक क्लीन एयर केटेलिस्ट कार्यक्रम में शामिल किया गया है। इन दोनों कार्यक्रम के तहत वायु गुणवत्ता में सुधार कर वायु गुणवता सूचकांक (अटख) 55 के आसपास लाना है।

मिलों के पेड़ बचाना क्यों जरूरी
श्याम सुंदर यादव ने कहा कि वायु गुणवता को सुधारने में पेड़ों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शहर के मध्य क्षेत्र में बन्द पड़ी कपड़ा मिलों में प्राकृतिक रूप से निर्मित शहरी वन (सिटी फॉरेस्ट) के कारण न सिर्फ शहर की आबोहवा ज्यादा खराब होने से बची हुई है, वरन सघन पेड़ों के कारण भूमिगत जल का स्तर भी खतरनाक स्तर तक घटने (क्रिटिकल होने) से बचा हुआ है। अतः शहर के लिए ऐसे अनमोल दिल एवं हरे-फेफड़ों का संरक्षण अत्यंत जरुरी है।

कैसी बनें योजनाएं
एसएल गर्ग ने कहा कि इन परिस्थितियों के मद्देनजर अब ज्यादा से ज्यादा पुराने पेड़ बचाए जाना ही अंतिम विकल्प है। इसलिये विकास की आगामी योजनाएं इस प्रकार बनाई जाएं कि अधिक से अधिक पेड़ों का संरक्षण हो सके। वर्तमान में एक आसन्न संकट हुकुमचंद मिल परिसर में लगे लगभग 2000 से अधिक पेड़ों पर है। यह पेड़ न केवल शुद्ध हवा देते हैं अपितु कार्बन संचयन (कार्बन सिक्वेस्ट्रेशन) भी कर रहे है। यह शहरी वन सालाना बहुमूल्य कार्बन क्रेडिट भी उत्पन्न कर रहे हैं। जहाँ हाउसिंग बोर्ड की रिहायशी एवं व्यावसायिक काम्प्लेक्स बनाने की योजना है।

यह बेहद जरूरी
अशोक दुबे ने कहा कि अतः यहां सिटी फॉरेस्ट घोषित किया जाए और शहरहित में निर्णय लिया जाए। साथ ही सभी बन्द मिल परिसरों को सिटी फॉरेस्ट के रूप में विकसित करने के प्रयास करने का विनम्र अनुरोध है।

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