क्या होता है पटका हेलमेट, जिसे पहनते हैं भारतीय फौजी? क्या आपको पता है जवाब और इसकी खूबियां

हमारे दिमाग में अक्सर कई सवाल उठते रहते हैं. कुछ सवालों के जवाब का अंदाजा हम खुद लगा लेते हैं, तो कभी-कभी इसके लिए दूसरों से मदद लेनी पड़ती है. आजकल के जमाने में रेडिट से लेकर कोरा जैसे कई प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं, जहां पर लोग अपने सवालों को पूछ लेते हैं. वहीं, दूसरे यूजर्स उनका सही-सही जवाब देने की कोशिश करते हैं. आज हम आपके लिए कोरा (Qoura) पर पूछे गए एक सवाल को लेकर सामने आए हैं. एक यूजर ने कोरा पर पूछा है कि ‘पटका हेलमेट क्या होता है, क्या इन्हें भारतीय सेना इस्तेमाल करती है?’ इसका जवाब यूं तो कई लोगों ने दिया है. लेकिन संभव नाम के यूजर का उत्तर सबसे दिलचस्प है, क्योंकि उन्होंने इस हेलमेट की खूबियों के बारे में भी बताया है.

संभव ने कोरा पर लिखे जवाब में बताया है कि पटका हेलमेट बेहद खास होता है. कश्मीर में तैनात भारतीय सैनिक लंबे समय से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. यह टोपी की तरह दिखता है, जिसे जवानों के लिए काफी सुरक्षित माना जाता है. जिस तरह से कश्मीर में फौजियों पर पत्थरबाजी होती थी, उससे बचने में ये हेलमेट काफी मदद करता है और उन्हें सुरक्षित रखता है. कई बार आतंकी हमले में हेडशॉट यानी सिर पर गोली लगने की सूरत में भी यह जवानों को बचाता है. संभव ने आगे बताया कि यह हेलमेट लगभग सभी तरह की गोलियों को झेल सकता है. यूं तो ज्यादातर हेलमेट 7.62 mm और 5.56 mm राउंड की गोलियों के सामने असफल होते हैं, लेकिन पटका हेलमेट 9 mm की बुलेट को झेल सकते हैं. यहां तक कि स्पेशल एडजस्टमेंट के साथ यह AK-47 की गोलियों से भी जवानों की सुरक्षा कर सकते हैं.

लेकिन होता है बहुत आरामदायक!
इस हेलमेट की कई और खूबियां भी हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि गोलियों को झेलने वाला ये हेलमेट पहनने में भी काफी आरामदायक होता है. इसे पहनने के बाद भी जवानों को थकान महसूस नहीं होती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि पटका हेलमेट के अंदर का भाग काफी नरम और मुलायम होता है. इतना ही नहीं, ये पटका हेलमेट इसलिए भी खास हो जाता है, क्योंकि इसको देश में ही बनाया जाता है. इसको डीआरडीओ (DRDO) द्वारा डिजाइन किया गया और बनाया गया है. इन्हीं लाजवाब खूबियों के कारण पटका हेलमेट लंबे समय से भारतीय जवानों की पहली पसंद रहा है. हालांकि, धीरे-धीरे अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस अन्य तरह के हेलमेट का भी इस्तेमाल भारतीय सेना करने लगी है.

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