अलवर : उपचुनावों के ऐलान के साथ ही रामगढ़ सीट के लिए तेज हुई हलचल
रामगढ़ विधानसभा चुनाव में उपचुनाव की तिथि का ऐलान होने के साथ ही क्षेत्र में राजनीति जोर मारने लगी है। टिकट के दावेदार अपने दलों के बड़े नेताओं के साथ संपर्क साधने में जुटे हैं, वहीं प्रमुख राजनीतिक दल कार्यकर्ताओं एवं क्षेत्रीय लोगों से फीडबैक लेने और सर्वे में जुटे हैं। वैसे तो कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इन चुनावों को लेकर गंभीर दिखाई पड़ रही हैं लेकिन भाजपा में दावेदारों की लंबी कतार होने के कारण यहां ज्यादा माथापच्ची करनी पड़ रही है।
गौरतलब है कि रामगढ़ विधायक रहे जुबेर खां के निधन के चलते रामगढ़ विधानसभा सीट पर जल्द ही उपचुनाव होना हैं। कांग्रेस व भाजपा में उपचुनाव को लेकर हलचल दिखाई पड़ रही है, तीसरे मोर्चे के दलों ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, इन दलों की निगाहें कांग्रेस व भाजपा के टिकट बंटवारे पर टिकी हैं। इधर दोनों प्रमुख दल मजबूत उम्मीदवार की तलाश में जुटे हैं। कांग्रेस में प्रत्याशी चयन को लेकर मारामारी ज्यादा दिखाई नहीं दे रही है। कारण है कि रामगढ़ सीट पर पिछले दो दशक से ज्यादा समय से कांग्रेस की ओर से जुबेर खां या उनके परिवार के सदस्य ही चुनाव लड़ते रहे हैं। अब एक बार फिर जुबेर खां के आकस्मिक निधन के बाद उपजी सहानुभूति का लाभ उठाने के लिए कांग्रेस उन्हीं के परिवार के किसी सदस्य पर दांव लगाने की तैयारी में है। अभी जुबेर खां के छोटे पुत्र आर्यन के रामगढ़ सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी होने की उम्मीद जताई जा रही है।
इधर भाजपा में दावेदारों की भरमार के चलते भाजपा के लिए माथापच्ची बढ़ गई है। हालांकि भाजपा में ज्ञानदेव आहूजा भी इस सीट पर डेढ़ दशक से ज्यादा समय से सक्रिय रहे हैं और चुनाव लड़े हैं। वे यहां से कई बार भाजपा के विधायक भी रहे हैं, इस कारण उपचुनाव में भी भाजपा की ओर से ज्ञानदेव आहूजा पर फिर से दांव लगाने की चर्चा जोरों पर है। वहीं ज्ञानेदव आहूजा के भतीजे जय आहूजा भी 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से भाग्य आजमा चुके हैं, लेकिन वे ज्ञानदेव आहूजा की तरह क्षेत्र में प्रभाव कायम नहीं कर पाए और तीसरे नंबर पर लुढ़क गए। इस सीट पर सुखवंत सिंह का दावा भी मजबूत माना जा रहा है, वे 2018 में यहां से भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं, हालांकि सुखवंत यहां से जीत नहीं सके, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी साफ़िया खां को कड़ी टक्कर देने में कामयाब रहे थे। वहीं 2023 के विधानसभा चुनाव में सुखवंत सिंह को भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर बागी होकर असपा से चुनाव लड़े और दूसरे नंबर पर रहकर कांग्रेस को टक्कर देते दिखे। इस कारण सुखवंत सिंह भी दावेदारी को लेकर चर्चा में हैं। इसके अलावा पूर्व विधायक बनवारीलाल सिंघल ने इस बार रामगढ़ से उपचुनाव में भाजपा टिकट पर दावेदारी जताई है हालांकि वे दो बार अलवर शहर से भाजपा टिकट पर चुनाव जीते, लेकिन बाद में पिछले दो विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने कहीं से भी टिकट नहीं दिया। सिंघल भी इस बार रामगढ़ उपचुनाव में भाजपा टिकट पर अपना दावा जता रहे हैं। इन सबके अलावा भी रामगढ़ सीट पर भाजपा टिकट के कई और दावेदार हैं, लेकिन वे केवल बायोडाटा तक ही सीमित हैं।