महायुति के 7 MLC नियुक्त, चुनाव से पहले सत्ताधारी गठबंधन ने खेला बड़ा दांव!

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले भाजपानीत गठबंधन महायुति ने राज्यपाल कोटे से महाराष्ट्र विधान परिषद के सात सदस्यों की नियुक्ति कर दी। इन नियुक्तियों में राज्य के जातीय एवं सामाजिक समीकरणों का ध्यान रखा गया है।

चुनाव के बाद होगी शेष नियुक्ति

राज्यपाल कोटे से विधान परिषद के 12 पद पूर्व की महाविकास आघाड़ी सरकार के कार्यकाल से ही रिक्त थे। अभी इनमें से केवल सात को ही भरने की घोषणा की गई है। शेष की नियुक्ति महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद की जाएगी।

राज्यपाल को भेज दी गई सूची

एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फड़नवीस-अजित पवार के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में नामों को अंतिम रूप दिया और सूची महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के कार्यालय को भेज दी, जिन्होंने देर रात इसे मंजूरी दे दी।

इन सात में से भाजपा के हिस्से में तीन, एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और अजित पवार की अगुवाई वाली राकांपा के हिस्से में दो-दो विधान परिषद सदस्य आए हैं। इन नियुक्तियों में भी महायुति ने राज्य के जातीय एवं सामाजिक समीकरणों का पूरा ध्यान रखा है।

विक्रांत पाटिल को विधान परिषद भेजा गया

भाजपा ने पार्टी की राज्य महिला शाखा की प्रमुख चित्रा वाघ, बंजारा समुदाय के आध्यात्मिक नेता धर्मगुरु बाबूसिंह महाराज राठौड़ और पार्टी की युवा शाखा के प्रमुख विक्रांत पाटिल को विधान परिषद में भेजा हैं।

राकांपा ने राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री एवं अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल के पुत्र पंकज भुजबल और सांगली शहर के पूर्व महापौर इदरीस इलियास नाइकवाड़ी को विधान परिषद में भेजा है।

शिवसेना के सदस्यों में वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता डॉ मनीषा कायंदे और हिंगोली के पूर्व सांसद हेमंत पाटिल शामिल हैं। बता दें कि महाराष्ट्र में, राज्यपाल राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिशों के आधार पर छह वर्ष के कार्यकाल के लिए विधान परिषद के 12 सदस्य नामित करते हैं।

संविधान के अनुच्छेद 171(5) के अनुसार राज्यपाल द्वारा खंड (3) के उपखंड (ई) के तहत नामित किए जाने वाले सदस्य साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन और सामाजिक सेवा आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करनेवाले होने चाहिए।

महाविकास आघाड़ी सरकार ने सौंपे थे 12 नाम

बता दें कि छह नवंबर 2020 को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस महाविकास आघाड़ी सरकार ने राज्यपाल कोटे से विधान परिषद में नामांकन के लिए 12 नाम तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सौंपे थे। लेकिन उन्होंने ये नियुक्तियां न करते हुए इसे लंबित रखा था। जून 2022 में ठाकरे सरकार गिर गई और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने तथा देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने।

जुलाई 2023 में अजित पवार उपमुख्यमंत्री के रूप में सरकार में शामिल हुए। इस बीच कई महीनों तक इन 12 सदस्यों की नियुक्तियों का मामला अदालत में भी लंबित रहा। अब विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले हुई इन नियुक्तियों पर विपक्षी दलों की भी त्यौरियां चढ़ गई हैं। शिवसेना (यूबीटी) की ओर से इन नियुक्तियों को मुंबई उच्चन्यायालय में चुनौती दिए जाने की संभावना की जा रही है।

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