कैसे हुआ मां काली का अवतरण? बेहद उग्र है देवी का यह स्वरूप…

शारदीय नवरात्र के 7वें दिन मां दुर्गा के उग्र स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा होती है। इन नौ दिनों तक भक्त देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों को प्रसन्न करने के लिए उपवास रखते हैं और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करते हैं। मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि अपने भक्तों के जीवन से समस्त अंधकार को दूर करती हैं। माता कालरात्रि (Shardiya Navratri 2024 Day 7) को देवी काली के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसा कहा जाता है देवी का स्वरूप जितना उग्र है, वह मन से उतनी ही निर्मल हैं, तो आइए उनके रूप के बारे में विस्तार से जानते हैं।

कैसे हुआ मां काली का अवतरण?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, असुर शुंभ और निशुंभ ने चंड-मुंड और रक्तबीज की मदद से देवताओं को हरा दिया था और तीनों लोकों पर शासन करने लगे थे। इसके पश्चात इंद्र और अन्य देवताओं ने देवी दुर्गा से प्रार्थना की और उन्हें मारने के लिए मां ने देवी चामुंडा का रूप धारण किया, जिसके बाद माता काली ने चंड, मुंड और रक्तबीज का वध किया और फिर से संपूर्ण जगत में शांति की स्थापना की।

ऐसा है देवी काली का स्वरूप

मां काली (Maa Kali Fierce Form) देवी दुर्गा का उग्र स्वरूप हैं। वे नकारात्मक ऊर्जा का नाश करने के लिए जानी जाती है। साथ ही वे अपने भक्तों के जीवन के समस्त अंधकार को दूर करती हैं। देवी कालरात्रि का रंग अंधेरी रात के समान गहरा है और खुले बाल गले की मुंड माला उनके स्वरूप को और भी उग्र बनाती है।

वहीं, माता रानी के का एक हाथ अभय मुद्रा में है और दूसरा हाथ वरद मुद्रा में है, जो अपने भक्तों के कष्टों को दूर करने के लिए हर समय तत्पर रहते हैं। इसके साथ ही गधे पर सवार होकर देवी अपने भक्तों की सदैव रक्षा करती हैं।

देवी काली प्रिय रंग

मां कालरात्रि को काली, भद्रकाली, चंडी और चामुंडा भी कहा जाता है। वहीं, देवी काली का प्रिय रंग रॉयल ब्लू है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन मां के प्रिय रंग के वस्त्रों को धारण करते हैं, उन्हें उनकी पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।

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