करवा चौथ में रखें इतने करवे, वरना सुहाग की थाली रह सकती है अधूरी
सनातन धर्म में करवा चौथ व्रत का अपना एक खास महत्व है। इस दिन विवाहित महिलाएं समर्पण भाव के साथ निर्जला व्रत का पालन करती हैं। साथ ही अपने पति की लंबी उम्र के लिए माता करवा की पूजा करती हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, करवा चौथ कार्तिक माह में पूर्णिमा के बाद चौथे दिन मनाया जाता है। इस साल करवा चौथ का व्रत रविवार, 20 अक्टूबर को रखा जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत (Karwa Chauth Vrat 2024) को रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही सौभाग्य में वृद्धि होती है।
करवा चौथ की थाली में कितने करवे रखने चाहिए?
करवा चौथ की पूजा को लेकर कई सारे नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन बहुत जरूरी होता है। उन्हीं में से एक करवा भी है, जिसके बिना सुहागिन महिलाओं की पूजा अधूरी होती है। करवा (Karwa Importance) को लेकर लोगों की कई सारी धारणाएं हैं, जिनका पालन करना बहुत जरूरी है। दरअसल, दो करवा में अनाज भरने का विधान है, लेकिन कई सारी महिलाएं 1 करवे में अनाज रखती हैं और दूसरे में पवित्र गंगाजल भरकर रखती हैं। फिर दूसरे करवे से ही माता को और चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं, जबकि कुछ महिलाएं तीन करवे रखती हैं।
हालांकि कई क्षेत्रों में एक करवा सुहागिन और दूसरा माता करवा और तीसरा संतान के लिए रखा जाता है। जानकारी के लिए बता दें, करवा अपने-अपने स्थान और मान्यताओं के अनुसार उपयोग किया जाता है। इसलिए अपने घर के बड़े-बुजुर्गों से सलाह लेकर ही पूजा की परंपराओं का पालन करें।
करवा चौथ चांद निकलने का समय (Moon Rise Time Or Puja Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ की पूजा शाम को 05 बजकर 46 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 02 मिनट तक के बीच होगी। वहीं, इस दिन चांद निकलने (Chand Nikalne Ka Time)का समय शाम 07 बजकर 54 मिनट का है। इस दौरान आप चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं। इसके साथ ही पूजा समय के अनुसार ही पूजा करें।