जम्मू-कश्मीर की पहली सरकार का फैसला आज, मतगणना सुबह 8 बजे से

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की पहली सरकार का फैसला मंगलवार को होगा। विधानसभा चुनाव की मतगणना मंगलवार को सुबह आठ बजे शुरू होगी। दोपहर 12 बजे तक तस्वीर साफ हो जाएगी कि अनुच्छेद 370 व 35ए की समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर की सियासत किस करवट बैठेगी। मतदान के बाद अधिकतर एग्जिट पोल्स में जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर त्रिशंकु जनादेश का अनुमान लगाया गया है। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में दस साल बाद तीन चरणों में चुनाव कराए गए थे।
जम्मू-कश्मीर में सभी 20 मतगणना स्थल पर त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है। 90 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए तीन चरणों में मतदान हुआ था, जिसमें 837 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होना है। सभी मतगणना स्थल पर प्रत्येक विधानसभा के लिए एक पर्यवेक्षक की तैनाती की गई है। पूरी प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में होगी। मतगणना स्थल पर त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया गया है। ड्रोन से भी मतगणना स्थलों की निगरानी होगी।
एक पूर्व मुख्यमंत्री, दो उप मुख्यमंत्री, दर्जनभर मंत्री समेत कई की प्रतिष्ठा दांव पर
दस साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पूर्व उप मुख्यमंत्री ताराचंद व मुजफ्फर हुसैन बेग, भाजपा अध्यक्ष रवींद्र रैना, कांग्रेस अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा, अपनी पार्टी प्रमुख अल्ताफ बुखारी, पीपुल्स कांफ्रेंस अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जीए मीर, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती, पूर्व मंत्री राजीव जसरोटिया, सुरजीत सिंह सलाथिया, चंद्रप्रकाश गंगा, शामलाल शर्मा, अजय सडोत्रा, रमण भल्ला, योगेश साहनी, मूलाराम, जुगल किशोर शर्मा, विकार रसूल वानी, सुनील शर्मा, शक्ति परिहार, देवेंद्र मन्याल, सज्जाद किचलू, नजीब सुहरवर्दी, अब्दुल मजीद वानी, हर्षदेव सिंह, पवन गुप्ता व जीएम सरूरी और पूर्व विधायक देवेंद्र सिंह राणा, मोहम्मद युसूफ तारिगामी, अल्ताफ कल्लू आदि शामिल हैं।
तीन सीटों पर उप चुनाव संभव
जम्मू कश्मीर में तीन सीटों पर उप चुनाव संभव हैं। इनमें उमर अब्दुल्ला व सज्जाद लोन की ओर से दो-दो सीटों पर भाग्य आजमाया जा रहा है। यदि वह दोनों सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल होते हैं तो ऐसी स्थिति में एक सीट उन्हें खाली करना होगा, जहां उप चुनाव होंगे। पुंछ जिले की सूरनकोट सीट पर भाजपा प्रत्याशी मुश्ताक बुखारी का गत दिनों निधन हो गया है। यदि वह जीतते हैं तो वहां उप चुनाव की नौबत आएगी।
इनकी प्रतिष्ठा दांव पर
चुनाव परिणाम के नतीजे सभी पार्टियों की प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं। खासकर अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पहली बार हो रहे चुनाव में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर है। यदि भाजपा को जीत हासिल नहीं हुई तो कांग्रेस समेत कश्मीर केंद्रित पार्टियों को इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ मुखर होने का मौका मिल सकता है। इसके साथ ही गुलाम नबी आजाद की पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी, अपनी पार्टी, इंजीनियर रशीद की पार्टी, पीपुल्स कांफ्रेंस के साथ ही नेकां, पीडीपी व कांग्रेस की साख का सवाल है। जमात के प्रभाव का भी परिणाम आकलन करेगी क्योंकि जमात से जुड़े कई लोग निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं।
जम्मू-कश्मीर में छोटे दल और निर्दलीयों पर नजर
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में इस बार कश्मीर संभाग चुनाव के केंद्र में रहा। राज्य की सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा की चुनावी रणनीति जहां जम्मू संभाग पर केंद्रित रही, वहीं नेशनल कांफ्रेंस ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर दोनों संभाग में बढ़त लेने की रणनीति बनाई। कश्मीर संभाग में इस बार जमात के परोक्ष रूप से मैदान में उतरने, अलगाववादी नेता इंजीनियर रशीद की अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के उत्तर कश्मीर से निकलकर कश्मीर की कई सीटों पर चुनाव लड़ने और कई निर्दलीयों के ताल ठोकने से तस्वीर बेहद दिलचस्प हो गई। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार राज्य में सत्ता की चाबी इन्हीं छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के पास रहेगी। भाजपा और नेकां-कांग्रेस दोनों की रणनीति त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में निर्दलीयों व छोटे दलों को साधने की होगी। इसके अलावा उप राज्यपाल की ओर से मनोनीत होने वाले पांच विधायकों की भूमिका भी अहम होगी।
नतीजों का भविष्य पर असर
यदि भाजपा इन राज्यों में जीतती है तो वह देश में मोदी मैजिक कायम रहने का दम भरेगी। हालांकि उसकी हार हुई तो अगले पांच महीनों में होने वाले तीन और विधानसभा चुनाव में विपक्ष का हौसला बुलंद हो जाएगा और वह महाराष्ट्र में भाजपा के हाथ से सत्ता छीनने के लिए जी-जान झोंक देगी।
त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था
विधानसभा चुनाव का परिणाम मंगलवार को आएगा। मतगणना को लेकर पूरे प्रदेश में सुरक्षा के थ्री टायर बंदोबस्त किए गए हैं। सोमवार को सभी 20 जिला मुख्यालयों में निर्धारित केंद्रों पर सुरक्षा सहित व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया गया। मतगणना केंद्रों पर त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है। पुलिस और प्रशासन के तमाम बड़े अफसरों ने अपने-अपने जिले के स्ट्रांग रूम पहुंचकर सुरक्षा के बंदोबस्त परखे।
मतदान केंद्रों के बाहर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। बुलेटप्रूफ बंकरों को केंद्रों के बाहर तैनात किया गया है। एडीजीपी जम्मू आनंद जैन का कहना है कि जम्मू, राजोरी, पुंछ, डोडा, रामबन, किश्तवाड़, सांबा, कठुआ, उधमपुर और रियासी में सुरक्षाबलों की पर्याप्त मात्रा में तैनाती की गई है। किसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था में चूक न हो, इसके लिए जरूरी आदेश दिए गए हैं। वहीं एडीजीपी कश्मीर वीके विर्दी का कहना है कि कश्मीर के सभी जिलों श्रीनगर, हंदवाड़ा, कुपवाड़ा, बारामुला, गांदरबल, पुलवामा, शोपियां, अनंतनाग आदि में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त हैं। हर मतगणना केंद्र पर भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात हैं।
वहीं जम्मू के एसएसपी जोगिंदर सिंह ने कहा है कि मंगलवार को होने वाली मतगणना को लेकर कहीं पर कोई हाय हल्ला न हो। उन्होंने अपील की कि जिस तरह से लोगों ने शांतिपूवर्क मतदान में हिस्सा लिया। उसी तरह मतगणना के दिन भी शांति बनाकर रखें और कानून व्यवस्था को अपने हाथ में न लें।