किसी ने महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर तो किसी ने बना डाला मिनी स्टेडियम
नई सोच, कुछ करने का संकल्प और अपने गांव से भावनात्मक लगाव। ये तीन सूत्र हैं जिन्होंने अमरोहा के मखदूमपुर गांव की प्रधान मधु चौहान को प्रेरित किया कि वह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएं तो सीतापुर में बरगावां के युवा प्रधान मनोज यादव ने गांव में मिनी स्टेडियम ही बना डाला।
इसी तरह गोंडा के वजीरगंज के प्रधान सुशील जायसवाल ने बच्चों के लिए अंतरिक्ष प्रयोगशाला बनाकर एयरोनाटिकल इंजीनियर की नियुक्ति कर ली। मेरठ के उल्धन गांव की संयोगिता ने आइएएस बनने का सपना छोड़ दिया और ग्राम स्वराज का सपना साकार करने में जुट गईं।
‘गांव के विकास में ही प्रदेश का विकास निहित है’
सकारात्मक सोच के साथ अपने ग्राम के विकास के लिए समर्पित होने की श्रृंखला उत्तर प्रदेश में अंतहीन है और अब वह वक्त है कि उनके कार्यों का, उनकी ऊर्जा का और उनकी क्षमता का सम्मान किया जाए। इसलिए कि यह एक अटल तथ्य है कि गांव के विकास में ही प्रदेश का, देश का विकास निहित है और ऐसा पंचायतों को सशक्त करके ही किया जा सकता है। इसीलिए गांव के विकास और निर्माण कार्यों का उत्सव अल्ट्राटेकः यशस्वी प्रधान इस वर्ष पुनः मनाया जा रहा है। इस वर्ष पुनः मनाया जा रहा है। यह गांव के विकास के प्रति प्रधानों की प्रतिबद्धता का उत्सव है। उनकी सोच को सम्मान देने का उत्सव है।
प्रधान गांव के विकास के अगुआ हैं और यदि प्रदेश में ऐसी कहानियां भरी पड़ी हैं जिनमें उनके प्रयासों ने साकार रूप लेकर न सिर्फ गांव की कायापलट कर दी, बल्कि ग्रामीणों की सोच भी बदली। ऐसे जाने कितने गांव हैं जो आर्थिक बदहाली को पीछे छोड़ते हुए स्वरोजगार से आत्मनिर्भर हुए और सामूहिक एकता के गौरवबोध से भरे हुए हैं। गांव में सीसी रोड,पानी की टंकी, पंचायत भवन और प्राथमिक स्कूलों के भवन प्रधानों की प्रगतिशील सोच को सामने रखते हैं और विकास व निर्माण कार्यों का अल्ट्राटेक हमेशा साझीदार रहा है। यशस्वी प्रधान ऐसे ही प्रधानों को सम्मान देने का मंच है, जिसकी शुरुआत 2022 में शुरू हुई थी। उस समय पहली बार इस कार्यक्रम के जरिये प्रधानों को उनके उत्कृष्ट विकास कार्यों एवं उन्नत निर्माण के लिए सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम के जरिये अपनी गुणवत्ता और विशेषज्ञता के साथ अल्ट्राटेक देशमें हो रहे ऐसे विकास कार्यों के लिए प्रतिबद्ध है।
गांव को रोजगार से जोड़ने में सफलता हासिल
अब यह श्रृंखला विस्तार ले चुकी है। इसमें प्रदेश के गांवों के प्रधान बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। इस श्रृंखला ने ग्राम प्रधानों में विकास कार्यों को लेकर जो स्वस्थ प्रतिस्पर्धा शुरू की, उसने गांवों के पूरे वातावरण को सकारात्मक बनाया। यह कम बड़ी बात नहीं कि इंजीनियर और उद्यमी भी आज प्रधान बनने में गर्व महसूस करते हैं। यशस्वी प्रधान में सम्मानित किए गए महिला व पुरुष प्रधान पूरे प्रदेश के गांवों के लिए प्रेरणा बने और इसका कितना बड़ा असर हुआ, उसके लिए सिर्फ एक ही उदाहरण काफी है कि गोंडा के कस्बा खास गांव के प्रधान खुद भले ही आठवीं पास हैं लेकिन उन्होंने पूरे गांव को रोजगार से जोड़ने में सफलता हासिल कर ली। ग्रामोत्सव के रूप में शुरू हो रहे,यशस्वी प्रधान में ऐसी प्रधानों का इस वर्ष भी सम्मान किया जाएगा।
कार्यक्रम में सभी प्रधानों की भागीदारी हो सके, इसके लिए प्रदेश को 13 क्षेत्र में बांटा गया है। पहले चरण में प्रत्येक क्षेत्र के 20 प्रधानों को सम्मानित किया जाएगा। इसका चयन उनके विशिष्ट विकास कार्यों के आधार पर होगा। दूसरा चरण राज्यस्तरीय होगा जिसमें प्रत्येक क्षेत्र से चुने गए 260 प्रधानों में से 20 प्रधानों को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया जाएगा।
देश की आत्मा गांवों में बसती है और अब वहां से भी विकास के लिए नई परिकल्पना और सोच की धाराएं निकल रही हैं जो आने वाले दिनों में नए भारत की पुख्ता नींव तैयार करेंगी।