महाराष्ट्र चुनाव से पहले सरकार का फैसला
केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को पांच और भारतीय भाषाओं को शास्त्रीय भाषा की सूची में शामिल कर लिया है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने बड़ा फैसला लिया है, मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बांग्ला भाषाओं को अब शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दे दी है। शास्त्रीय भाषाएं वह समृद्ध भाषाएं हैं जो भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को अपने में संजोए हुए प्रत्येक समुदाय को ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्वरूप प्रदान करती हैं।
पीएम मोदी की ने दी बधाई
पीएम मोदी ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा घोषित करने के कैबिनेट के फैसले की सराहना की। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया कि मुझे बहुत खुशी है कि महान बंगाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है, खासकर दुर्गा पूजा के शुभ समय के दौरान। बंगाली साहित्य ने वर्षों से अनगिनत लोगों को प्रेरित किया है। मैं दुनिया भर के सभी बांग्लाभाषियों को इसके लिए बधाई देता हूं।
वहीं, पीएम मोदी मराठी भाषा को लेकर भी बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि मराठी भारत का गौरव है। इस अभूतपूर्व भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने पर बधाई। यह सम्मान हमारे देश के इतिहास में मराठी के समृद्ध सांस्कृतिक योगदान को स्वीकार करता है। मराठी हमेशा भारतीय विरासत की आधारशिला रही है। मुझे यकीन है शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से बहुत से लोग इसे सीखने के लिए प्रेरित होंगे।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कही ये बात
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस सूची में पहले से छह भाषाओं को मान्यता प्राप्त है। यह भाषाएं संस्कृत, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और उड़िया हैं।
एकनाथ शिंदे और फड़णवीस ने दी बधाई
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी देवेंद्र फड़णवीस और अजीत पवार ने गुरुवार को मराठी को शास्त्रीय भाषा का टैग देने के केंद्र के फैसले की सराहना की और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया।
फड़णवीस ने कहा कि यह एक स्वर्णिम दिन है। महाराष्ट्र के 12 करोड़ लोगों की ओर से मैं इस फैसले के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद देता हूं।
फड़णवीस ने कहा कि जब वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, तब उनके नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने केंद्र के साथ मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का मुद्दा उठाया था।
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि यह निर्णय ऐतिहासिक था, यह सुनिश्चित करने के लिए कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिले, दशकों से संघर्ष चल रहा था।
रोजगार के नए अवसर खुलेंगे
भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में शामिल करने से विशेष रूप से शैक्षणिक और शोध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इसके अतिरिक्त, इन भाषाओं के प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण, दस्तावेज़ीकरण और डिजिटलीकरण से संग्रह, अनुवाद, प्रकाशन और डिजिटल मीडिया में रोजगार पैदा होंगे।