दिल्ली : विश्वस्तरीय मानकों पर बनी सड़कें तीन माह में ही गड्ढों में बदलीं
राजधानी की सड़कों का इस साल मानसून में जितना बुरा हाल हुआ है, उतना कभी नहीं हुआ। यह तब है जब सड़कों का निर्माण और मरम्मत कार्य विश्वस्तरीय मानकों पर किया गया है। दिल्ली सरकार की ओर से जब भी किसी सड़क की मरम्मत की जानकारी दी जाती थी, तब यह बात विशेष तौर पर कही जाती थी कि सरकार सड़कों का निर्माण और मरम्मत कार्य विश्वस्तरीय मानकों पर करवा रही है लेकिन जून माह से सितंबर तक दिल्ली की सड़कों ही हालत ऐसी हो गई कि अब सरकार खस्ताहाल सड़कों का निरीक्षण कर उसे सुधारने की बात कह रही है।
इस साल मानसून में हुई बारिश से सड़कों पर खतरनाक गड्ढे हो गए हैं। कई जगह तो सड़कों पर ऊपर की लेयर ही गायब है। इन सड़कों पर दोपहिया वाहन चालकों का चलना खतरनाक हो चुका है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकार क्षेत्र में 1260 किलोमीटर सड़कें हैं। सड़कों पर गड्ढों से लोगों के वाहन खराब हो रहे हैं, वहीं जाम भी लग रहा है।
पीडब्ल्यूडी के आंकड़ों पर गौर करें तो बीते दो माह में विभाग को 10,000 शिकायतें मिलीं, जिनमें गड्ढे, टूटी सड़कें और जलभराव के मामले सबसे अधिक रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि इन शिकायतों में सड़क से संबंधित 2,193 शिकायतें मिलीं जिसमें टूटे हुए डिवाइडर, जर्जर सतह, खराब फुटपाथ, गड्ढे आदि शामिल हैं। इसके साथ ही सड़कों पर अंधेरा होने की भी शिकायतें मिली हैं। अधिकारियों का कहना है कि जितनी शिकायतें मिली हैं उससे अधिक संख्या में सड़कों की हालत खराब है। सड़कों की दशा ठीक करने के लिए जाेन के हिसाब से टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है लेकिन इस साल दिसंबर तक सभी सड़कों की हालत ठीक हाेने की संभावना कम ही है।
कागजी कार्रवाई में व्यस्त अधिकारी
आईटीओ स्थित पीडब्ल्यूडी मुख्यालय में तैनात सैकड़ों अधिकारी और कर्मचारी सिर्फ कागजी खानापूर्ति में लगे हैं। हर दूसरे-तीसरे दिन वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से आदेश या सर्कुलर आदि निकाला जाता है लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति की जानकारी जनता के सिवाए किसी को नहीं पता। अधिकारियों की मानें तो उनकी तरफ से कोई गड़बड़ी या ढिलाई नहीं की गई बल्कि अधिक बारिश के चलते सड़कें खराब हो गईं। स्थिति को देखें तो रानी झांसी फ्लाईओवर पर गहरे गड्ढे हैं।
बारापुला एलीवेटेड काॅरिडोर पर सराय काले खां की ओर से चढ़कर आईएनए के पास काफी गड्ढे हैं। निर्माण स्थलों के आसपास यह हाल है कि पांच मिनट का रास्ता 15 से 30 मिनट में पूरा हो रहा है। यमुनापार के शहीद मंगल पांडे मार्ग पर भजनपुरा से लेकर यमुना विहार तक मेट्रो द्वारा बनाए जा रहे डबल डेकर फ्लाईओवर के नीचे सड़क पर काफी गड्ढे हैं। इससे जाम लगता है। सिग्नेचर ब्रिज की ओर से आने वाले वाहन चालक आधे-आधे घंटे तक जाम में फंसते हैं। नंद नगरी में फ्लाईओवर बनाया जा रहा है। यहां भी सड़क पर बड़े बड़े गड्ढे हैं। स्थिति यह है कि पांच मिनट का सफर 15 से 20 मिनट में पूरा होता है।
बीते साल ऑडिट में मिली थीं कई खामियां
बीते वर्ष पीडब्ल्यूडी की ऑडिट रिपोर्ट में सड़कों और फुटपाथ की स्थिति में कई खामियाें का पता चला था। रिपोर्ट में पाया गया कि राजधानी में मात्र 25 फीसदी फुटपाथ ही पैदल चलने के योग्य थे। इसके साथ ही 84 फीसदी फुटपाथ की चौड़ाई मानक के अनुरूप नहीं थी। बीते साल जुलाई से नवंबर के बीच सुप्रीम कोर्ट की एक समिति के निर्देश के बाद ऑडिट किया गया था। इसमें कई खामियां मिली थीं। इसके बाद इसे ठीक करने के लिए कदम उठाने का दावा किया गया था, लेकिन काम नहीं किया जा सका।