यहां इंसानों के साथ बेजुबान करते हैं हैरतअंगेज करतब, पुरुष महिला बनकर करते हैं डांस
राजस्थान अपनी लोक संस्कृति और गौरवशाली इतिहास के लिए प्रसिद्ध है, जहां की लोक मान्यताएं और आस्था हर किसी को प्रभावित करती हैं. चूरू के पास स्थित ऐतिहासिक गोगा मेला इसका बेहतरीन उदाहरण है. गोगामेड़ी में हर साल भरने वाले इस मेले में न केवल इंसान, बल्कि पशु भी नृत्य करते नजर आते हैं. यहां पुरुष, महिलाओं के वेश में नृत्य करते हैं, जो मेले में आने वाली भीड़ के लिए प्रमुख आकर्षण रहता है.
मेले का मुख्य आकर्षण ऊंट और घोड़ी की नृत्य प्रतियोगिता रही, जिसमें आग के साथ घोड़ी का नृत्य और पुरुषों का महिलाओं के वेश में घोड़ी पर चढ़कर करतब करना ग्रामीणों के लिए बेहद रोचक रहा. ऊंट नृत्य प्रतियोगिता में झुंझुनू के बिबासर गांव के रोहिताश कुलड़िया ने पहला और छावत्सरी के नेकीराम ने दूसरा स्थान हासिल किया. वहीं, घोड़ी नृत्य प्रतियोगिता में आसलखेड़ी के सांवताराम पहले और गांव कारंगा के भवानी सिंह दूसरे स्थान पर रहे.
भव्य जागरण का हुआ आयोजन
मेले की रात गोगामेड़ी में भव्य जागरण का आयोजन हुआ, जहां भजन गायकों ने समां बांधा. कार्यक्रम की शुरुआत झारिया धाम के आकाश नाथ महाराज ने गणेश वंदना से की. इसके बाद, आकाश नाथ जी ने “बालाजी ने लाड लड़ावे माता अंजना” जैसे भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया. ध्यान नाथ और विद्यानाथ महाराज ने “बाछल माता बेठी झरोखा रे माय…” की प्रस्तुति दी, जबकि झुंझुनू के सोनासर के अभय नाथ महाराज ने भी एक से बढ़कर एक भजनों से श्रद्धालुओं का दिल जीता.