यूपी : पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति की जमानत याचिका खारिज

सामूहिक दुष्कर्म और नाबालिग के साथ यौनशोषण के मामले में दोषी पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति और अन्य दो लोगों की जमानत याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खान की खंडपीठ ने जमानत याचिका की सुनवाई के बाद 10 सितंबर को फैसला सुरक्षित कर लिया था।

गायत्री के अधिवक्ता पूर्णेंदु चक्रवर्ती ने याचिका में कहा कि पीड़ित महिला ने गायत्री और अन्य दो आरोपियों पर सामूहिक दुष्कर्म करने और उसकी नाबालिग बेटी के साथ यौनशोषण करने का आरोप लगाया था। जांच के दौरान यह तथ्य सामने आए थे कि गायत्री व अन्य पर राजनीति से प्रेरित होकर आरोप लगाए गए थे।

ट्रायल कोर्ट ने मामले में गैंगरेप व पॉक्सो की धाराओं के तहत दोषी मानते हुए गायत्री प्रजापति, आशीष कुमार शुक्ला और अशोक तिवारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि दोषियों की जमानत याचिका के संबंध में पर्याप्त कारण न मिलने से उनकी याचिका खारिज की जाती है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज हुई थी एफआईआर
मामले की सुनवाई के दौरान अपर शासकीय अधिवक्ता उमेश चंद्र वर्मा ने जमानत याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता की एफआईआर भी नहीं लिखी जा रही थी। क्योंकि आरोपियों में से एक गायत्री प्रजापति तत्कालीन सपा सरकार में मंत्री था। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिट के आदेश के बाद पीड़िता की एफआईआर 18 फरवरी 2017 को लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में दर्ज की गई थी। पीड़िता के वकील सुनीति सचान ने भी दोषियों के जमानत का विरोध किया।

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