तिरुपति प्रसाद पर पूर्व राष्ट्रपति का बयान: बाबा विश्वनाथ का प्रसाद मिला तो खटका…
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बीएचयू में तिरुमला तिरुपति को लेकर बड़ा बयान दिया। कहा कि कल मेरे पास बाबा विश्वनाथ का प्रसाद आया, तब मेरे मन में तिरुपति में प्रसाद की घटना याद आई। मैं बाबा विश्वनाथ से माफी चाहता हूं कि इस बार उनका दर्शन नहीं कर पाया लेकिन अगली बार करूंगा।
देश के हर मंदिर की हो सकती है कहानी, ढंग से हो जांच
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि कल रात मेरे कुछ सहयोगी बाबा विश्वनाथ धाम गए थे। रात में मुझे बाबा का प्रसादम दिया तो मेरे मन में तिरुमाला की घटना याद आई और मेरे मन में थोड़ा खटका। मैंने बाबा विश्वनाथ से कान पकड़कर माफी मांगी कि इस बार मैं आपका दर्शन नहीं कर पाया। लेकिन, बाबा विश्वनाथ के प्रसादम में हर किसी का अटूट भरोसा और श्रद्धा है।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि इसमें कितना क्या है, उस पर जाना नहीं चाहता, लेकिन ये देश के हर मंदिर की कहानी हो सकती है। हर तीर्थ स्थल में ऐसी घटिया मिलावट हो सकती है। हिंदू धर्म के अनुसार ये बहुत बड़ा पाप है। इसकी ढंग से जांच हो।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शताब्दी कृषि विज्ञान प्रेक्षागृह में 21-22 सितंबर को ‘भारतीय गाय, जैविक कृषि एवं पंचगव्य चिकित्सा’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन शनिवार को किया गया। संगोष्ठी का उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दीप प्रज्वलन कर किया। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कुलगीत सुना। इस दौरान आईएमएस के डायरेक्टर प्रो. एसएन संखवार ने उनका स्वागत किया।
संगोष्ठी में देसी नस्ल की गायों के संरक्षण और संवर्धन पर रायशुमारी की गई। आयुर्वेद संकाय के काय चिकित्सा विभाग एवं गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र देवलापुर, नागपुर के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, असम, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश आदि से लगभग 300 प्रतिभागी शोध पत्र प्रस्तुत किया। दो दिनों में देश-विदेश के वैज्ञानिक, शोध अध्येता समेत 500 से अधिक लोग जुटेंगे। नेपाल के विशेषज्ञ भी शामिल हुए हैं।
संगोष्ठी का उद्देश्य देसी गाय, गोपालन एवं पंचगव्य चिकित्सा के जरिये जनमानस को होने वाली बीमारियों जैसे कैंसर, मधुमेह, अवसाद, रक्तचाप, एलर्जी आदि के उपचार के साथ जैविक खेती पर चर्चा करना था। पश्चिमी नस्ल की गायों जैसे जर्सी, होल्स्टीन और फ्राइजियन से प्राप्त दूध से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। भारतीय नस्ल की गायों गंगातीरी, साहीवाल, गिर, लाल सिंधी आदि से प्राप्त दूध ए-2 मिल्क की श्रेणी में आता है।
गाय के दूध में है स्वर्ण भस्म: एक्सपर्ट प्रो. ओपी सिंह
गाय के दूध में स्वर्ण भस्म पाया जाता है। इसलिए इस दूध में हल्का पीलापन रहता है। ये रिसर्च भी हो चुकी है। इसका इस्तेमाल हर रोग में रामबाण जैसा काम करेगा। ये बातें बीएचयू के कृषि शताब्दी सभागार में शनिवार को शुरू हुए भारतीय गाय जैविक कृषि एवं पंचगवी चिकित्सा कार्यक्रम में एक्सपर्ट प्रो. ओपी सिंह ने कहीं। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बीएचयू का कुलगीत सुना और उसके बाद आईएमएस के डायरेक्टर प्रो. एस एन संखवार ने उनका स्वागत किया।
कार्यक्रम के संयोजक प्रो. ओपी सिंह ने कहा कि दुनिया में आयुर्वेद की शुरुआत काशी से होती है। पूर्व राष्ट्रपति का गाय और चिकित्सा से बहुत लगाव रहा है। आजकल लाइफ स्टाइल की डिस ऑर्डर काफी बढ़ गया है। इसलिए अब हमें अपनी पुरानी इलाज पद्धति पर आना होगा। गाय की घी का पान हर व्यक्ति को करना चाहिए। देसी गाय के बिलौना घी का 10 से 20 ग्राम इस्तेमाल करना चाहिए। देसी गाय के मूत्र का पी एच 9 होता है। इसके पीने से कई रोग दूर होंगे।