मछुआरों की आर्थिक सुरक्षा ने बढ़ाया मछली का निर्यात

मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने देश के आर्थिक विकास में पशुधन का बड़ा योगदान बताया। नरेन्द्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में सौ दिन पूरे होने पर मंगलवार को उन्होंने कहा कि मछली पालन एवं जलीय कृषि भोजन, पोषण, रोजगार, आय एवं विदेशी मुद्रा अर्जित करने का बड़ा स्त्रोत है।

मछुआरों की सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा बढ़ी

आगे बोले कि इस क्षेत्र से आगे भी उम्मीद है, क्योंकि वर्तमान में मछलियों के निर्यात से 60 हजार करोड़ से ज्यादा की विदेशी मुद्रा आ रही है। इससे तीन करोड़ मछुआरों एवं मछली पालकों को आजीविका भी चल रही है और पिछले एक दशक में मछुआरों की सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा बढ़ी है, जिससे निर्यात भी बढ़ा है।

ललन सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि मछली पालकों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। वैश्विक मछली उत्पादन में भारत की लगभग आठ प्रतिशत हिस्सेदारी है। विश्व में भारत मछली का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। जल्द ही हम पहले स्थान पर होंगे।

झींगा मछली के निर्यात में सबसे अधिक वृद्धि हुई

उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में 30,213 करोड़ रुपये का सी-फूड (समुद्री खाद्य) निर्यात 2023-24 में दोगुना बढ़कर 60,523.89 करोड़ रुपये हो गया है। झींगा मछली के निर्यात में सबसे अधिक वृद्धि हुई है जो दस साल पहले 19,368 करोड़ रुपये की तुलना में 107 प्रतिशत बढ़कर 40,013.54 करोड़ रुपये पहुंच गया है।

पशुपालन मंत्री ने कहा कि कुल कृषि और संबद्ध क्षेत्र के सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में पशुधन का योगदान 2014-15 में मात्र 24.36 प्रतिशत था जो 2022-23 में बढ़कर 30.22 प्रतिशत हो गया। देश की आर्थिकी में 5.5 प्रतिशत का योगदान कर रहा है। इस दौरान दूध उत्पादन के मूल्य में 125 प्रतिशत तक वृद्धि हुई जो 2014-15 में 4.96 लाख करोड़ रुपये से बढ़र 2022-23 में 11.16 लाख करोड़ रुपये का हो गया। यह कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा है।

नौ करोड़ से अधिक पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान कराया

उन्होंने कहा कि मवेशियों की देसी नस्लों के विकास एवं संरक्षण के लिए सरकार संकल्पित है। इसके तहत अभी तक नौ करोड़ से अधिक पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान कराया गया है।

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