दूसरों के सामने बच्चों की शरारत कर देती हैं शर्मिंदा? अपनाएं ये तरीके

बच्चे चंचल और शरारती होते हैं। लेकिन कई बार वे कुछ ज्यादा ही शरारत करने लगते हैं, खासकर किसी रिश्तेदार के घर जाने पर और तब वहां आपको शर्मिंदा होना पड़ता है?

बच्चों को किसी रिश्तेदार के घर लेकर जाना माता-पिता के लिए सबसे मुश्किल काम होता है, क्योंकि वहां वे न सिर्फ खाने को लेकर नखरे दिखाते हैं, बल्कि शरारत भी करते हैं। इस वजह से कई बार अभिभावकों को शर्मिंदा भी होना पड़ता है। इस स्थिति में मन में बस यही ख्याल आता है कि ‘बेकार ही आ गए। इससे अच्छा तो घर पर ही रहते।’ लेकिन आप थोड़ी-सी समझदारी दिखाकर और बच्चों में अच्छी आदतें डालकर उन्हें रिश्तेदारों के घर शरारतें करने से रोक सकती हैं।

शांति से समझाएं

अच्छी परवरिश का सबसे पहला नियम है, प्यार और शांति। आप जितना अधिक शांत भाव से अपने बच्चों की परवरिश करेंगी, बच्चे भी उतने ही सभ्य और आज्ञाकारी बनेंगे। जिन बच्चों के माता-पिता बात-बात पर गुस्से में आ जाते हैं या कुछ ज्यादा ही ओवर रिएक्ट करते हैं, उनके बच्चे उनसे दूर हो जाते हैं और बातें छुपाने लगते हैं। आपके साथ ऐसा न हो, इसलिए अपने बच्चों को प्यार और शांति से सही-गलत का अंदर समझाएं।

उनको समझें

अगर आप बच्चों की उम्र के हिसाब से खुद को उनकी जगह रखेंगी तो इस बात को समझ पाएंगी कि आखिर वे शरारत क्यों करते हैं। जब भी बच्चे रिश्तेदारों के सामने शरारत करें तो उन पर गुस्सा करने के बजाय उनकी भावनाओं को समझें। आप समझें कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। हो सकता है, वे अपनी कोई बात मनवाना चाहते हों! इस स्थिति में आपको उन्हें बताना होगा कि ‘यह हमारा घर नहीं है। तुम्हें घर पर वह चीज मिल जाएगी।’ ऐसी बातें समझाने और कहने से बच्चे आपकी भावनाओं को समझ पाते हैं।

एक सूची बनाएं

हर बच्चे का शरारत करने का ढंग अलग होता है। कुछ बच्चे शोर मचाते हुए शरारतें करते हैं तो कुछ चुपचाप रहकर बड़ी शरारत कर जाते हैं। इसलिए आप बच्चे के इमोशन को ट्रिगर करने वाली चीजों की सूची बनाएं। उसकी शरारत के पीछे के कारणों को जानें और समझें कि वह ऐसा क्यों करता है। जब आप इन चीजों को पहचान लेंगी तो बच्चे की शरारती हरकतों को शांत करना आपके लिए बहुत आसान हो जाएगा।

सबके सामने गुस्सा नहीं

शरारत करने पर बच्चों को सबके सामने डांटने या कमरे में बंद कर देने जैसी सख्त सजा कभी न दें। यह उनके मन को चोट पहुंचाता है और उनमें आक्रोश पैदा कर सकता है। इसलिए आप उन्हें शरारत से होने वाले नुकसान के बारे में समझाएं। बच्चे को हमेशा प्यार से बताएं कि थोड़ी-बहुत हंसी-मजाक करना तो ठीक है, लेकिन ज्यादा शरारत करना संबंधियों के आगे माता-पिता की छवि को खराब करता है।

समझाना तो पड़ेगा उन्हें

फैमिली रिलेशनशिप काउंसलर शोभना बताती हैं, बच्चे जब परिचितों या रिश्तेदारों के सामने अपने माता-पिता के स्वभाव में विनम्रता पाते हैं तो इसका लाभ उठाने की कोशिश करते हैं और मनमानी करने लगते हैं। आज के माहौल में बच्चे के साथ बच्चा बनकर खेलना जरूरी है, लेकिन उसे अपनी सीमाओं का भी पता होना चाहिए। मोह में आकर उसकी सारी मांगों को पूरा करना उसके व्यक्तित्व को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए बच्चे को यह अहसास होते रहना चाहिए कि उसकी जरूरतें पूरी की जा रही हैं, आगे भी थोड़ी-बहुत इच्छाएं पूरी की जा सकती हैं, लेकिन हर काम उसके मन के मुताबिक होना संभव नहीं है। इसलिए माता-पिता का फर्ज है कि वे बच्चे को समझाएं और उसे समाज में एक साधारण व्यक्ति बनकर जीने के लिए तैयार करें।

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